मुहावरे
मुहावरा एक वाक्यांश होता है जो स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं होता जबकि लोकोक्तियाँ अपने आप में पूर्ण होती हैं। लोकोक्तियों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।
शब्दों की तीन शक्तियाँ होती हैं :-
1.अभिधा
2. लक्षणा
3. व्यंजना
- अभिधा क्या होता है :- जब किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग होता है तब वहाँ पर उसकी अभिधा शक्ति होती है।
जैसे :- सिर पर चढ़ाना – इसका अर्थ है किसी चीज को उठाकर सिर पर रखना होगा।
- लक्षणा क्या होता है :- जब शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग न करके किसी विशेष प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जाये। ये जिस शक्ति की वजह से होता है उसे लक्षणा कहते हैं।
जैसे :- सिर पर चढने का अर्थ होगा आदर देना।
- व्यंजना क्या होता है :-जब अभिधा और लक्षणा का काम खत्म हो जाता है तब जिस शक्ति से शब्द समूहों या वाक्यों के किसी अर्थ की सुचना मिलती हो उसे व्यंजना कहते हैं।
जैसे :- सिर पर चढ़ाना – मुहावरे का व्यंग्यार्थ न तो सिर पर निर्भर करता है पर , इस पूरे मुहावरे का अर्थ होगा अनुशासनहीन।
मुहावरों में अलंकारों का प्रयोग :-
अनेक मुहावरों में अलंकारों का प्रयोग होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की प्रत्येक मुहावरा अलंकार होता है या प्रत्येक अलंकारयुक्त वाक्यांश मुहावरा होता है।
(क) सादृश्यमूलक मुहावरे:- लाल अंगारा होना (उपमा) , पैसा ही पुरुषत्व और पुरुषत्व ही पैसा है (उपमेयोपमा), अंगार बरसाना (रूपक) , सोना सोना ही है (अनन्वय)।
(ख) विरोधामूलक मुहावरे :- इधर-उधर करना, उंच-नीच देखना, दाएं-बाएं न देखना , पानी से प्यास न बुझना।
(ग) सन्निधि अथवा स्मृतिमूलक मुहावरे :- चूड़ी तोडना, चूड़ा पहनाना , दिया गुल होना , दुकान बढ़ाना, मांग-कोख से भरी-पूरी रहना।
(घ) शब्दालंकारमूलक मुहावरे :- अंजर-पंजर ढीले होना , आंय-बांय-सांय बकना , कच्चा-पक्का, देर-सवेर।
कथानकों, किंवदन्तियों, धर्म-कथाओं आदि पर आधारित मुहावरे:-
कुछ मुहावरे प्रथाओं पर निर्भर होते हैं। जैसे :- बीड़ा उठाना। मध्य युग में राजाओं के दरबारों में यह प्रथा थी कि जब भी कोई बुरा कार्य करना होता था तब वीरों और सामन्तों को बुलाकर उन्हें उस विषय में सब बातें बता दी जाती थी और थाली में पान रख दिया जाता था । जो वीर उस काम को करने के लिए तैयार हो जाता था वो उस थाली से बीड़ा उठा लेता था ।कुछ मुहावरे कहानियों पर आधारित होते हैं ।
जैसे :- टेढ़ी खीर होना , ढपोरशंख होना ।
व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञाओं की भांति प्रयोग :- कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का उपयोग जातिवाचक संज्ञाओं की तरह करके मुहावरे बनाये जाते हैं ।
जैसे :- कुंभकरण की नींद , जयचंद होना, विभीषण होना ।
अस्पष्ट ध्वनियों पर आधारित मुहावरे :- जब मनुष्य प्रबल भाववेश में होते हैं तब उनकी जल्दी बोलने की वजह से कुछ अस्पष्ट ध्वनियाँ निकाल जाती हैं जो बाद में किसी एक अर्थ में रूढ़ हो जाती हैं और मुहावरे कहलाने लगते हैं ।
जैसे :- (क) हर्ष में : आह-हा, वाह-वाह
(ख) दुःख में : आह निकल पड़ना , सी-सी करना, हाय-हाय मचाना ।
(ग) क्रोध में : उंह-हूं करना, धत्त तेरे की।
(घ) घर्णा में : छि-छि करना, थू-थू करना ।
मनुष्यतर चैतन्य सृष्टि की ध्वनियों पर आधारित मुहावरे :-
(क) पशु- वर्ण की ध्वनियों पर आधारित :-
टर-टर करना, भों-भों करना , में-में करना ।
(ख) पक्षी और कीट-पतंगो की ध्वनियों पर आधारित :-
कांव-कांव करना, भिन्ना जाना ।
जड़ वस्तुओं की ध्वनियों पर आधारित मुहावरे :-
(क) कठोर वस्तुओं की संघर्ष-जन्य ध्वनियों के अनुकरण पर आधारित :-
फुस-फुस करना , फुस-फुस होना ।
(ख) तरल पदार्थों की गति से उत्पन्न ध्वनि पर आधारित :-
कल-कल करना, कुल-कुल करना, गड़-गड़ करना ।
(ग) वायु की गति से उत्त्पन्न ध्वनि पर आधारित :-
सर-सराहट होना, सांय-सांय करना ।
शारीरिक चेष्टाओं के आधार पर बने हुए मुहावरे :-
शारीरिक चेष्टाएं मन के भावों को प्रकट करती हैं और उन्ही आधार पर मुहावरे बनाये जाते हैं ।
जैसे :- छाती पीटना, दांत पीसना, नाचने लगना ।
मनोवैज्ञानिक कारणों से मुहावरों की उत्पत्ति :-
(क) इसमें अचानक किसी संकट में आ जाने से सम्बन्धित मुहावरे हैं ।
जैसे:- आठों पहर सूली पर रहना, कहीं का न रहना , तकदीर फूटना ।
(ख) अतिश्योक्ति की प्रवृति से उदुभत मुहावरे हैं ।
जैसे:- आसमान के तारे तोडना, खून की नदियाँ बहाना।
(ग) भाषा को अलंकृत और प्रभावोत्पादक बनाने के प्रयास से उदुभत मुहावरे हैं ।
जैसे :- ईद का चाँद होना, सरसों का फूलना, गूलर का फूल होना ।
किसी शब्द की पुनरावृत्ति पर आधारित मुहावरे :-
अभी-अभी , छि:-छि:, छिप-छिप कर, तिल-तिल भर , थोडा-थोडा करके ।
दो क्रियाओं का योग करके बनाए हुए मुहावरे :-
उठना-बैठना, खाना-पीना, पढ़ाना-लिखना।
दो संज्ञाओं को मिलाकर बनाए हुए मुहावरे :-
कपड़ा-लत्ता, दवा-दारू, नदी-नाला, रोजी-रोटी, गाजर-मूली, भोजन-वस्त्र।
हिंदी के एक शब्द के साथ उर्दू के दूसरे शब्द का योग करके बनाए हुए मुहावरे :-
दान-दहेज, दिशा मैदान जाना, मेल मुलाकात रखना , मेल मुहब्बत होना।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
अ , आ से शुरू होने वाले मुहावरे :
{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
- अक्ल का दुश्मन– (मूर्ख) – अरे! अक्ल के दुश्मन , यदि जीवन में सफलता पानी है तो मेहनत करो ।
- अंधे की लकड़ी– (एकमात्र सहारा) – मानव अपने माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है ।
- अक्ल पर पत्थर पड़ना –(बुद्धि नष्ट होना) – मुसीबत आने पर मनुष्य की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं ।
- अपना उल्लू सीधा करना –(अपना स्वार्थ पूरा करना) – अरुण को तो अपना उल्लू सीधा करना था , अब वह तुषार से बात भी नहीं करता ।
- अंगूठा दिखाना –(समय पर धोका देना) – मैंने राधिका से कुछ पैसे मांगे तो उसने मुझे अंगूठा दिखा दिया ।
- अक्ल का अँधा –(मूर्ख) – राजेश अक्ल का अँधा है , वह किसी के समझाने से मानता ही नहीं है ।
- अपना राग अलापना– (अपनी ही बातें करते रहना) – मैं उससे मदद मांगने गया था , परन्तु वह अपना ही राग अलापता रहा ।
- अँधेरे घर का उजियारा– (इकलौता पुत्र) – राहुल इसलिए अधिक लाडला पुत्र है क्योंकि वही इस अँधेरे घर का उजियारा है ।
- आकाश के तारे तोडना– (असंभव कम करना) – शादी से पहले जो पुत्र अपने माता-पिता के लिए आकाश के तारे तोड़ने को तैयार था , परन्तु अब उन्हें काटने को दोड़ता है ।
10.आटे में नमक – (बहुत कम) – सुलतान को उसके शरीर के अनुसार खुराक चाहिए , आधा लीटर दूध तो उसके लिए आटे में नमक के बराबर है ।
- आपे से बाहर होना– (क्रोधित होना) – आपे से बाहर होकर कंडक्टर ने यात्री को पीट डाला ।
- आग में घी डालना– (क्रोध को बढ़ावा देना) – लड़ाई के समय अविनाश ने पदम् की पिछली बातें उखाडकर आग में घी डालने का काम किया ।
- आग बबूला होना– (क्रोधित होना)- मेरे फेल होने पर माता जी आग बबूला हो गईं ।
- आकाश-पाताल एक करना– (बहुत मेहनत करना) – सुजाता ने प्रथम श्रेणी प्राप्त करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया ।
- आनन –फानन में– (बिना किसी देर के) -उमेश ने आनन-फानन में दो किलोमीटर दौड़ लगा दी ।
- आस्तीन का साँप– (धोखा देने वाला मित्र) – रोहित को पता नहीं था की अंकुर आस्तीन का साँप निकलेगा ।
- आँखों का तारा –(बहुत प्यारा होना) – अकेली सन्तान माँ – बाप की आँखों का तारा होती है ।
- आँखों में धूल झोंकना– (धोखा देना) – डाकू पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गए ।
- आँखें दिखाना– (गुस्सा करना) – पिता जी ने आँखें दिखाकर नरेंद्र जी को चुप कर दिया ।
- आँखें बिछाना– (स्वागत करना) – जनता ने आँखें बिछाकर अपने वीर सैनिकों का सम्मान किया ।
- आँखें चुराना– (लज्जित होना) -रुपए उधर लेने के बाद उमेश मुझसे आँखें चुराने लगा ।
- आँखें फेर लेना– (विरुद्ध हो जाना) – मुसीबत में सभी आँखें फेर लेते हैं ।
- अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना –(स्वं अपनी प्रशंसा करना) – अच्छे आदमियों को अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनाना शोभा नहीं देता ।
- अक्ल का चरने जाना –(समझ का आभाव होना) – इतना भी समझ नहीं सके , क्या अक्ल चरने गई है ।
- अपने पैरों पर खड़ा होना –(आत्मनिर्भर होना) – व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़े होकर काम करना चाहिए ।
- आँखें खुलना– (होश आना) – एक बार ठोकर लगने के बाद व्यक्ति की आँखें खुल जाती हैं ।
- आसमान से बातें करना– (बहुत ऊँचाई पर होना) – आजकल लोग आसमान से बातें करते हैं ।
- ढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना– (अलग-अलग रहना) – कुछ सैलून पहले पाकिस्तानी सेना ढाई चावल की खिचड़ी अलग पका रही थी ।
- अपना सा मुंह लेकर रह जाना– (असफलता प्राप्त होना) – जब वह अपना काम पूरा ना कर सका तो मालिक के समने वह अपना सा मुंह लेकर रह गया ।
- अरमान निकालना– (इच्छा पूरी करना) – बेटे की शादी में बाबु साहब ने अपने दिल के अरमान निकाले ।
- अरमान रहना– (इच्छा पूरी न होना) – पुत्र के मर जाने से गरीब के सारे अरमान रह गये ।
- आँख उठाकर न देखना– (ध्यान न देना) – श्याम किसी को आंख उठाकर नहीं देखता है ।
- आँख का कांटा होना– (शत्रु होना) – बुरा काम करने की वजह से वह आस-पडोस वालों की आँख का कांटा हो गया है ।
- आँख का काजल चुराना– (सफाई के साथ काम करना) – बहुत सारे लोगों के बीच से घडी का चोरी होना ऐसा लगता है जैसे चोर ने आँखों से काजल चुरा लिया ।
- आँखों पर चढना –(कुछ पसंद आ जाना) – तुम्हारी घड़ी चोर की आँखों पर चढ़ गई इसलिए उसने चुरा ली ।
- 3 आँखों में पानी न होना– (बेशर्म होना) – बेईमान लोगों की आँखों में पानी नहीं होता ।
- आँखों में खून उतरना– (अत्यधिक क्रोधित होना) – विजय को देखते ही धर्मराज की आँखों में खून उतर आया ।
- आँखों में गड़ना– (बुरा लगना) – मेरी बातें उसकी आँखों में गड़ गई ।
- आँखों में चर्बी छाना –(घमंड होना) – जिसके पास दौलत होती है उसकी आँखों में चर्बी छा जाती है ।
- आँखें लाल करना– (गुस्से से देखना) – सुंदर की बातों का बुरा मान क्र उसने आँखें लाल कर लीं ।
- आँखें सेकना– (दूसरों की लड़ाई से आनन्द लेना) – हमारी लड़ाई को देखकर सभी लोग अपनी आँखें सेकते हैं ।
- आँच न आने देना– (थोड़ी सी भी चोट न लगने देना) – मेरा दोस्त मुझ पर जरा भी आँच नहीं आने देगा ।
- 4 आटे दाल का भाव मालूम होना– (कठिन समय की समझ होना) – जब जिम्मेदारियाँ निभाने लगोगे तब तुम्हे आटे दाल का भाव पता लगेगा ।
- आँसू पीकर रह जाना – (दुःख और अपमान को सहन करना)– सबके समने बुरा भला सुनकर भी वह आँसू पीकर रह गया ।
- आग पर पानी डालना– ( शांत करना) – ओ भाइयों में ज्यादा गरमा-गर्मी हो गई थी लेकिन दीदी की बातों ने आग पर पानी डाल दिया ।
- आग में कूदना– (जानबूझकर मुसीबत में पड़ना) – वीर पुरुष किसी खतरे से नहीं डरते वे तो आग में भी कूद पड़ते हैं ।
- आग लगने पर कुआँ खोदना– (मुसीबत आने पर मुसीबत का हल ढूँढना) – अंतिम घडी में शहर से डॉक्टर बुलाना आग लगने पर कुआँ खोदने के समान है ।
- आटा गीला करना –(घाटा आना) – कम कीमत में फसल बेचोगे तो आटा तो गीला होगा ही ।
- आधा तीतर आधा बटेर– (बेढंगा) – पश्चिमी संस्क्रती ने भारतीय संस्क्रती को आधा तीतर आधा बटेर बना दिया ।
- आबरू पर पानी फिरना– (प्रतिष्ठा बर्बाद होना) – तुम्हारी नादानी के कारण ही हमारी आबरू पर पानी फिर गया ।
- आवाज उठाना– (विरोध करना) – गुंडों के खिलाफ आवाज उठाना आम बात नहीं है ।
- आसमान सिर पर उठाना– (शोर मचाना) – स्कूल के बच्चों ने आसमान सिर पर उठा लिया ।
- आँख भर आना– (आँसू आना) – बेटी की बिदाई से माँ बाप की आँख भर आई ।
- आँखों में बसना– (दिल में समाना) – वह इतना बुद्धिमान है कि वह मेरी आँखों में बस गया ।
- अंक भरना– (प्यार से गले लगा लेना) – माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया ।
- अंग टूटना– (बहुत थक जाना) – ज्यादा काम करने से मेरे तो अंग टूटने लगे हैं ।
- अंगारों पर लेटना– (दुःख सहना) – वह दूसरे की तरक्की देखकर अंगारों पर लोटने लगा ।
- अंचरा पसारना– (माँगना) – माँ ने अपने बेटे की तरक्की के लिए भगवान के सामने अंचरा पसार लिया ।
- अण्टी मारना– (चाल चलना) – ऐसी अण्टीमारो कि सब चारों खाने चित हो जाए ।
- अण्ड-बण्ड कहना– (भला-बुरा कहना) – तुम क्या अण्ड-बण्ड ख रहे हो कोई सुन लेगा तो बहुत पिटेगा ।
- अन्धाधुन्ध लुटाना– (बिना सोचे खर्च करना) – अपनी कमाई को कोई भी अन्धाधुन्ध लुटाया नहीं करते ।
- अन्धा बनना – (आगे-पीछे कुछ नहीं देखना)– धर्म के पीछे अँधा नहीं बनना चाहिए ।
- 6 अन्धा बनाना – (धोखा देना) –लोगों ने ही लोगों को अँधा बना रखा है ।
- अँधा होना – (विवेकभ्रष्ट होना)– तुम अंधे हो गये हो क्या यह भी नहीं देखते कि कोई खड़ा है या नहीं ।
- अंधेरखाता – (अन्याय होना)– मुंहमांगा देने पर भी लोग अन्याय करते हैं यह कैसा अन्धेरखाता है ।
- अंधेर नगरी – (जहाँ कपट का बोलबाला हो)– पहले चाय इकन्नी में मिलती थी और अब दस पैसे की मिलती है ये बाजार नहीं अंधेर नगरी है ।
- अकेला दम – (अकेला होना)– मैं तो अकेला हूँ जिधर सींग समायेगा , चल दूंगा ।
- अक्ल की दुम – (खुद को होशियार समझनेवाला)– तुम्हे दस का पहाडा तो आता है नहीं और खुद को साइंस का टॉपर कहते हो ।
- अगले जमाने का आदमी – (ईमानदार व्यक्ति) –आज की दुनिया में अगले जमाने का आदमी बुद्ध माना जाता है ।
- अढाई दिन की हुकुमत ( कुछ ही दिन की शानोशौकत) – जरा होशियार रहें ये अढाई दिन की हुकुमत है जल्दी चली जाएगी ।
- अन्न जल उठाना – (मरना)– मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा यहाँ से अन्न जल उठ गया है ।
- अन्न जल करना – (जलपान करना)– बहुत दिनों बाद आये हो कुछ अन्न जल तो कर लेते ।
- अन्न लगना – (स्वस्थ रहना)– उसे तो अपने गाँव का ही अन्न लगता है ।
- अपना किया पाना – (कर्म का फल भोगना )– जब बेकार लोगों से नाता रखोगे तो अपना किया ही पाओगे ।
- अब तब करना – (बहाना बनाना)– मैने उससे कुछ माँगा तो उसने अब तब करना शुरू क्र दिया ।
- अब तब होना – (परेशान करना)– दवाई देने से कोई फायदा नहीं वह तो अब तब हो रहा है ।
- आठ आठ आँसू रोना – (बहुत पछताना)– अगर अभी नहीं पढोगे तो बाद में आठ आठ आँसू रोना पड़ेगा ।
- आसन डोलना – (विचलित होना)– धन देखते ही ईमान का भी आसन डोल जाता है ।
- आसमान टूट पड़ना – (बहुत कष्ट आना)– उसने इतने दुखों का समना किया की मानो उस पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा ।
- अगिया बैताल – (क्रोधी)– रोहन छोटी-छोटी बात पर अगिया बैताल हो जाता है ।
- अंगारों पर पैर रखना – (खुद को संकट में डालना)– भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर भारत की सेवा करती है ।
- अक्ल का अजीर्ण होना – (जरूरत से ज्यादा अक्ल होना)– मोहन किसी विषय में किसी और को महत्व नहीं देता उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है ।
- अक्ल दंग होना – (हैरान होना)– सोहन ज्यादा पढाई नहीं कर्ता लेकिन जब रिजल्ट आया तो सब की अक्ल दंग रह गयी ।
- अक्ल का पुतला – (बहुत बुद्धिमान होना)– विदुर जी को अक्ल का पुतला माना जाता था ।
- अंत पाना – (भेद पाना)– किसी का भी अंत पाना कठिन है ।
- अंतर के पेट खोलना – (समझदारी से काम लेना)– हर परेशानी में हमे अंतर के पेट खोलना चाहिए ।
- अक्ल के घोड़े दौड़ना -(कल्पनाएँ करना)– जय तो हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ता रहता है ।
- अपनी डफली आप बजाना – (अपने मन अनुसार करना)– राधा किसी की बात नहीं सुनती , वो हमेशा अपनी ढपली बजाती रहती है ।
- अंधों में काना राजा – (अनपढ़ों में पढ़े लिखे का सम्मान होना) –रावन तो अंधों में काना राजा के समान है ।
- अंकुश देना – (जोर देना) –भारतीय खिलाडियों पर खेल जीतने के लिए बहुत अंकुश दिया गया ।
- अंग में अंग चुराना- (शरमाना)– वह मुझसे अंग से अंग चुराने लगा ।
- अंग-अंग फूले न समाना- (बहुत खुश होना)– अपनों से मिलकर उसका अंग-अंग फूले न समाया ।
- अंगार बनना- (क्रोधित होना)– राजेश की बात सुनकर रमेश अंगार बन गया ।
- अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)– काम करना क्या होता है वह अंडे का शाहजादा क्या जाने ।
- अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)– आजकल के बच्चों को अठखेलियाँ सूझती हैं ।
- अँधेरे मुँह- (प्रातः काल)– वो तो अँधेरे मुंह उठकर ही काम करने लगता है ।
- अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)– तुम्हे काम करना नहीं आता तुम अड़ियल टट्टू की तरह काम करता है ।
- अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार करना)– सुखी ने रिश्तेदारों से बात करने के लिए बुलाया लेकिन वो तो उसे अपना ही घर समझने लगे ।
- अड़चन डालना- (बाधा उत्त्पन करना)– सपना हर शुभ काम में अडचन डालती है ।
- अरण्य-चन्द्रिका- (व्यर्थ का पदार्थ होना)– अरुण अपना समय अरण्य चन्द्रिका पर बर्बाद कर्ता रहता है ।
- आग का पुतला- (क्रोधी)– सुरजन तो आग का पुतला है छोटी -छोटी बात पर बुरा मान लेता है ।
- आग पर आग डालना- (जले को जलाना)– लक्ष्मी लड़ाई को मिटाने की जगह और आग पर आग डालने का काम करती है ।
- आग पानी का बैर- (सहज वैर)– लता और चारू को समझाना तो बहुत मुस्किल है उनमें तो आग पानी का बैर है ।
- आग बोना- (झगड़ा लगाना)– सब लोग लड़ाई में झगड़ा कम करने की वजह और आग बोने का काम करते हैं ।
- आग लगाकर तमाशा देखना- (झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना)– सुनीता हमारे घर में आग लगाकर तमाशा देखती है ।
- आग लगाकर पानी को दौड़ाना- (पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना)– पहले तो स्कूल में लड़ाई करवाते हो फिर उसे शांत करने की कोशिश करते हो यह तो आग लगाकर पानी को दौड़ने वाली बात हुई ।
- आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद शांत हो जाना)– हमें तो श्याम का स्वभाव समझ नहीं आता वो तो आग से पानी हो जाता है ।
108.आन की आन में- (फौरन ही) – वैसे तो वह कुछ कर्ता नहीं लेकिन जब करने की सोच लेता है तो वह आन की आन में ही कर्ता है ।
- आग रखना- (मान रखना)– मेहमान भगवान का रूप होता है इसलिए सब लोग उनका आग रखते हैं ।
- आसमान दिखाना- (पराजित करना)– आयुर्वेद ने सभी विदेशी कम्पनियों को आसमान दिखा दिया ।
- आड़े आना- (नुकसानदेह होना)– आजकल की वस्तुएं आड़ी आने लगी हैं ।
- आड़े हाथों लेना- (बुरा-भला कहना)– कविता अपने से बड़ों से गलत तरह से बात क्र रही थी इसलिए उसके अध्यापक ने उसे आड़े हाथों ले लिया ।
- अंगारे उगलना – (कडवी बातें करना)– सरोज तो बातें नहीं करती वह तो अंगारे उगलती है ।
114.अंगूठा चुसना – (खुशामद करना) – स्वाभिमानी लोग कभी किसी का अंगूठा नहीं चूसा करते ।
- अंगूर खट्टे होना – (न मिलने पर वस्तु को खराब कहना)– जब लोमड़ी के हाथ अंगूर न लगे तो उसे लगा कि अंगूर खट्टे हैं ।
- अंडा फूट जाना – (राज खुल जाना)– जब लोकेश की साडी बातें लोगों के सामने आ गई तो उसका अंडा फूट गया ।
- अंगड़ाना – (अंगड़ाई लेना)– जब श्याम सुबह उठता है तो उठने के बाद अंगड़ाता है ।
- अंकुश रखना – (नियंत्रण रखना)– वह किसी भी बात को ऐसे ही नहीं कहते हैं वे अपने आप पर अंकुश रखना जानते हैं ।
- अंग लगाना – (गले लगाना)– जब उसे अपनी माँ के आने का पता लगा तब उसने अपनी माँ को अंग से लगा लिया ।
- अँगूठे पर मारना – (परवाह न करना)– वह छोटे – बड़ों को तो अपने अंगूठे पर मरता है ।
- अंधे को चिराग दिखाना – (मूर्ख को उपदेश देना)– विकाश को कुछ भी समझाना अंधे को चिराग दिखाने के समान है ।
- अँधेरे घर का उजाला – (अकेली संतान होना)– राकेश तो अपने अँधेरे घर का उजाला है ।
- अँधेरे मुँह – (पौ फटते)– गाँव में सब लोग अँधेरे मुंह ही उठने लगते हैं ।
- अक्ल चकराना – (कुछ समझ में न आना)– दो देशों के बीच बिना बात की लढाई देखकर मेरी तो अक्ल ही चक्र गई ।
- अक्ल का कसूर – (बुद्धि दोष) –तुम्हे कोई बात समझ नहीं आती यह तुम्हारा नहीं तुम्हारी अक्ल का कसूर है ।
- अक्ल के तोते उड़ना – (होश उड़ जाना) –जब उससे खा गया की जल्दी काम करे तो उसके अक्ल के तोते उड़ गए ।
- अटकलेँ भिड़ाना – (उपाय सोचना)– वह तो हर वक्त किसी न किसी बात पर अटकलें भिडाती रहती है ।
- अक्षर से भेँट न होना – (अनपढ़ होना) –वह तो बहुत गरीब है उसकी अक्षर से भेंट नहीं हुई होगी ।
- अथाह मेँ पड़ना – (मुश्किल मेँ पड़ना) –तुम उस पागल से क्या मुश्किल का हल पुंचते हो वह तो खुद ही अथाह में पड़ता फिरता है ।
- आटे के साथ घुन पिसना – (दोषी के साथ निर्दोष की भी हानि होना) –श्याम और घनश्याम ने साथ में काम किया लेकिन घनश्याम ने गलत काम किया और फस गया डॉन को हानि हुई यह तो आते के साथ घुन पिसने वाली बात हो गई ।
- ओखल में सिर देना – (जानकर समस्या में पड़ना)– जब ओखल में सिर दे दिया है तो अब डरते क्यूँ हो ।
- 1 औंधी खोपड़ी का होना – (मूर्ख होना)– वह कुछ नहीं समझ सकता वह तो औंधी खोपड़ी का आदमी है ।
- औंधे मुंह गिरना – (बुरी तरह धोखा खाना) –खरीददारी करने की वजह से किसान औंधे मुंह आ कर गिरा है ।
- अधजल गगरी छलकत जाए – (कमगुणी व्यक्ति दिखावा ज्यादा कर्ता है)– उस इन्सान को देखो उसका काम ऐसा है मानो अधजल गगरी छलकत जाए ।
- आम के आम गुठलियों के दाम – (दोगुना लाभ होना)– एक वस्तु खरीदने पर दूसरी मुफ्त यह तो आम के आम गुठलियों के दाम वाली बात हुई ।
- आँखों में सूअर का बाल होना – (स्वार्थी होना)– रमेश की आँखों में सूअर का बाल है ये बात सभी जानते हैं ।
इ , ई से शुरू होने वाले मुहावरे :
- ईद का चाँद होना – (बहुत दीनों के बाद दिखयी देना)– तुम्हें देखने को तरस गए मित्र , तुम तो ईद का चाँद हो गए हो ।
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – (किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना)– भारतीय सेना ने शत्रु का समना करते समय ईंट का जवाब पत्थर से दिया ।
- ईंट से ईंट बजाना – (सर्वनाश करना)– कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों की ईंट से ईंट बजा दी ।
- इधर-उधर करना – (टालमटोल करना)– अब इधर – उधर मत करो मुझे मेरी पुस्तक दे दो ।
- इधर की दुनिया उधर होना – (कोई अनहोनी बात का होना)– चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाए पर में वहाँ नहीं जाऊंगा ।
- इधर की उधर करना – (चुगली करना)– अनीता को कुछ भी बताना बेकार है वह तो इधर की उधर करती रहती है ।
- इंद्र का अखाडा – (मौज की जगह होना)– भाइयों यह शराबखाना नहीं है यह तो इंद्र का अखाडा है ।
- इज्जत बेचना – (पैसे लेकर इज्जत लुटाना)– आप लोग क्या समझते हैं कि शहर की लडकियाँ अपनी इज्जत बेचती फिरती हैं ।
- ईमान बेचना – (बेईमानी करना)– लोग पैसे के पीछे अपना ईमान बेचते फिरते हैं ।
146.इतिश्री होना – (समाप्त होना) – वह इन्सान का काम तो इतिश्री हो चूका है ।
- इस हाथ लेना उस हाथ देना – (हिसाब-किताब करना)– हम तुम से ये सौदा क्र लेते हैं लेकिन ये काम इस हाथ लेने और उस हाथ देने का का होगा ।
- इश्क का परवान न चढना – (प्यार में असफलता मिलना)– सुखी और माया एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन उनका प्यार परवान न चढ़ सका ।
- इंसानियत को दागदार करना – (इंसानियत के खिलाफ काम करना)– सुलाखान ने अपनी ही भतीजी को हवस का शिकार बनके इंसानियत को दागदार कर दिया ।
उ , ऊ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- ऊँट के मुंह में जीरा – (आवश्यकता से कम वस्तु)– रत दिन मेहनत करने वाले मजदूर के लिए दो रोटियां ऊँट के मुंह में जीरे के समान हैं ।
- उल्टी गंगा बहाना – (रीति विरुद्ध काम करना)– अरे भाई । मेरे चरण छूकर क्यों उल्टी गंगा बहाते हो , मैं तो तुमसे छोटा हूँ ।
- ऊँगली पर नचाना – (अपने वश में कर लेना)– वह कमा कर देता है , इसलिए वह सारे घर को ऊँगली पर नचाता है ।
- उडती चिड़िया पहचानना – (राज की बात दूर से जान लेना)– उसे उडती चिड़िया पहचानना आता है ।
- उन्नीस – बीस का अंतर होना – (कम अंतर होना)– राम और श्याम की शक्ल में बस उन्नीस -बीस का अंतर ही है ।
- उडती खबर – (अफवाह होना)– हमें किसी भी उडती खबर पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।
- उल्लू का पट्ठा – (बेवकूफ होना)– वह तो उल्लू का पट्ठा है वह अक्ल से काम कैसे लेगा ।
- उल्लू बनाना – (पागल बनाना)– सुधा को उल्लू बनाना बहुत कठिन है वह सब कुछ पहचान लेती है ।
- उधेड़ बुन में पड़ना – (सोच में पद जाना)– जब अचानक कोई मुश्किल आ जाती है तो कोई भी व्यक्ति उधेड़ बुन में पद जाएगा ।
- उल्टे अस्तुरे से मूडना – (मूर्ख बनाकर ठगना)– उस ढोंगी ने आज मुझे उल्टे अस्तुरे से मूड लिया था ।
- ऊँगली पकडकर पहुँचा पकड़ना – (थोड़े की जगह पूरा लेने की इच्छा रखना)– मोहन से सावधान रहो वह तो ऊँगली पकडकर पहुँचा पकड़ने वाला आदमी है ।
- उँगली उठाना – (दोष देना)– तुमने बिना कुछ सोचे मुझ पर ऊँगली क्यूँ उठाई ।
- उल्टी माला फेरना – (बुरा सोचना)– हमारी दादी जी तो हमेशा ही उल्टी माला फेरती रहती हैं ।
- उठा न रखना – (कमी न छोड़ना)– तुम क्या चाहते हो जब बोलना शुरू करते हो तो चुप ही नहीं होते हो तुम तो बातों को उठा ण रखने वाली बात करते हो ।
- उल्टी पट्टी पढ़ाना – (और का और कहकर बहकाना)– त्तुम हमारे बच्चों से बात मत किया करो तुम इन्हें उल्टी पट्टी पढ़ते हो ।
- ऊँची दुकान फीका पकवान – (उपरी दिखावा करना)– वैसे तो दुकान इतनी बड़ी है और पकवान बिलकुल फीका यह तो वही बात हुई कि ऊँची दुकान फीका पकवान वाली बात हुई ।
- उड़द पर सफेदी के बराबर भी शर्म नहीं – (बेहया होना)– रमेश की आँखों में तो उड़द पर सफेदी के बराबर भी शर्म नहीं है ।
- उठा-पटक करना – (तोड़फोड़ करना)– वह तो हर मामले में उठापटक कर्ता है ।
- उसका कोई सानी न होना – (बहुत होशियार होना)– उसको काम करने में महारथ हांसिल है उसका दिनेश अपने की कोई सानी नहीं है ।
- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – (उल्टा दोष देना)– एक तो सुरेश ने गलती की और उपर से मुझे ही डांटे जा रहा है।यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली बात हुई ।
ए , ऐ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- एंडी चोटी का पसीना एक करना – (बहुत मेहनत करना)– ये काम पूरा करने के लिए उसे एंडी चोटी का पसीना एक करना पड़ेगा ।
- एक आँख न भाना – (अच्छा न लगना)– बेटे के साथ तुम्हारा व्यवहार मुझे एक आँख नहीं भाता ।
- एक-एक ग्यारह होना – (एकता होना)– पहले वो अलग अलग रहते थे तो लोग उन्हें स्टेट थे लेकिन अब वो एक-एक ग्यारह हो गये हैं अब लोग उनसे डरने लगे हैं ।
- एक टांग पर खड़ा होना- (काम के लिए तैयार रहना)– जब तक बहन की शादी नहीं हुई वह एक टांग पर खड़ा रहा ।
- एक लाठी से हाँकना – (सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना)– सब लोगों को एक लाठी से हाँकना कोई बुद्धिमानी नहीं है ।
- एक हाथ से ताली न बजना – (दूसरे के बिना काम न होना)– कभी भी एक हाथ से ताली नहीं बजती गलती तुम दोनों की है ।
- ऐसी तैसी करना – (बेईज्जती करना)– सब के समने उसने अपने ही बड़े भाई की ऐसी तैसी कर दी ।
- एक घाट पानी पीना – (एकता होना)– सनम और शबनम दोनों ही एक घाट का पानी पीती हैं ।
- एक ही थैली के चट्टे–बट्टे – ( सब एक सेबुरे व्यक्ति)– राम और श्याम से क्या कहते हो वे तो एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं ।
- एक ही नौका मेँ सवार होना – (एक जैसी स्थिति में होना)– रमेश और सुरेश तो एक ही नौका में सवार दो आदमी हैं ।
क से शुरू होने वाले मुहावरे :
- कलेजा मुँह को आना – (बहुत दुःख होना)– उस वृद्ध की खानी सुनकर मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया ।
- कलेजा ठंडा होना – (संतोष होना)– सत्य प्रकाश के चुनाव हारने से विरोधियों का कलेजा ठंडा हो गया ।
- कलाई खुलना – (कमजोरी का पता लगना)– मनोज कक्षा में नकल करता पकड़ा गया , उससे उसके चरित्र की कलई खुल गई ।
- कान भरना – (चुगली करना)– पापा के कान भरकर रोहन ने पप्पू को पिटवा दिया ।
- कलेजे का टुकड़ा – (बहुत प्रिय)– करीना अपनी माता जी के कलेजे का टुकड़ा है ।
- कटे पर नमक छिडकना – (दुखी को और दुखी करना)– परेशान व्यक्ति को अपमानजनक शब्द कहना कटे पर नमक छिडकना है ।
- किस्मत ठोकना – (पछताना)– नालायक संतान होने पर माता पिता को सदैव अपनी किस्मत ठोकनी पडती है ।
- काँटे बिछाना – (मुसीबत पैदा करना)– पंकज के विरोध ने उसके रास्ते में पग-पग पर काँटे बिछाए , परन्तु वह अपने उद्देश्य में सफल हो गए ।
188.कोल्हू का बैल – (बहुत परिश्रमी)– जब से राहुल के उपर गृहस्थी का भर पड़ा है , तब से वह कोल्हू का बैल बन गया है ।
- काठ का उल्लू – (मूर्ख होना)– दिनेश से बात करना बिलकुल बेकार है वह तो निरा काठ का उल्लू है ।
- कटक बनना – (बाधक होना)– तुम मेरे हर काम में कटक क्यूँ बन गये हो ।
- ककड़ी खीरा समझना – (महत्वहीन समझना)– वे गरीब हैं पर आदमी हैं उन्हें तुम ककड़ी खीरा मत समझा करो ।
- कफन सिर से बंधना – (खतरे की परवाह न करना)– भरतीय सेना अपने सिर पर कफन बांध कर देश की रक्षा करती है ।
- कमर कसना – (तैयार होना)– अगर खेल में जितना है तो अपनी कमर कस लो ।
- कमर टूटना – (कमजोर होना)– युद्ध में हार होते देख पाकिस्तानी सेना की कमर ही टूट गयी ।
- कलेजा चीरकर दिखाना – (भरोसा देना)– मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ ।
- कलेजा टूक-टूक होना – (दुःख होना)– कैकयी की बात सुनकर महाराज दशरथ का कलेजा टूक-टूक हो गया ।
- कलेजा थामकर रहना – (मन में भरोसा होना)– लक्ष्मण को परशुराम पर बहुत क्रोध आया था पर राम के समझाने पर वे कलेजा थामकर रह गये ।
- कलेजा निकलकर रख देना – (सच ख देना)– कलेजा निकलकर रखने पर भी कोई विश्वास नहीं करता ।
- कलेजे पर साँप लोटना – (ईर्षा होना)– मेरी तरक्की देखकर तुम्हारे कलेजे पर साँप लोट रहे हैं ।
- काठ की हांड़ी – (अस्थायी चीज)– इस बार तुम्हारी योजना सफल हो गई लेकिन काठ की हांड़ी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढती ।
- कान एंठना – (सुधरने की शपथ लेना)– मैं अपने कान ऐंठता हूँ की अब से ऐसे काम नहीं करूंगा ।
- कान पर जूं न रेंगना – (ध्यान न देना)– मैं तुम्हें इतनी देर से समझा रहा हूँ लेकिन तुम्हारे कान पर तो जूं ही नहीं रेंग रही है ।
- कान भरना – (चुगली करना)– तुम्हे क्या हुआ है तुम सब के कान भरते फिरते हो ।
- कान में तेल डालकर बैठना – (अनसुनी करना)– मैं तुम्हे इतनी देर से बुला रहा हूँ पर तुम कान में तेल डाल क्र बैठे हो ।
- काम आना – (वीरगति प्राप्त होना)– नेप्फा की लड़ाई में चीनी सैनिक बहुत काम आये ।
- काम तमाम करना – (मार देना)– शिवाजी ने अपनी तलवार से अफजल खां का काम तमाम क्र दिया ।
- कीचड़ उछालना – (बदनाम करना)– अच्छे आदमियों पर कीचड़ उछालना अच्छी बात नहीं है ।
- कील काँटे से दुरुस्त होना – (अच्छी तरह तैयार होना)– आज में अपना काम पूरा करके रहूँगा क्योकि आज में कील काँटे से दुरुस्त होकर आया हूँ ।
- कुएँ में भाँग पड़ना – (सबकी बुद्धि मारी जाना)– हम लोग किस-किस को समझाएं यहाँ पर यहाँ तो कुएं में ही भाँग पड़ी है ।
- कुत्ते की मौत मरना – (बुरी तरह मरना)– अगर तुम इसी तरह व्यवहार करोगे तो कुत्ते की मौत मरोगे ।
- कुम्हड़े की बतिया – (कमजोर आदमी)– सुरेश ने रमेश को कुम्हड़े की बतिया समझा है जो उसे धमकाता रहता है ।
- कुहराम मचाना – (बहुत रोना)– विश्वनाथ की मौत की खबर आते ही उनके घर में कुहराम मच गया ।
- कौड़ी का तीन होना – (कम दाम का होना)– तुम्हारे जैसे आवारा के साथ रहकर वह भी कौड़ी का तीन हो गया ।
- कंठ का हार होना – (बहुत प्रिय होना)– सुनीता अपने माँ-बाप के लिए कंठ का हार है ।
- कंगाली में आटा गीला होना – (गरीबी में हानि होना)– एक तो हम पहले से ही गरीब हैं अब और फसल के दाम नहीं मिले यह तो कंगाली में आटा गीला होने वाली बात हो गई है ।
- कंधे से कंधा मिलाना – (साथ देना)– युद्ध में जवान कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं ।
- कच्चा-चिटठा खोलना – (रहस्य खोलना)– सुरेश ने कान्हा का सारा कच्चा – चिटठा खोल दिया ।
- कच्ची गोली खेलना – (कम अनुभवी होना)– अभी तुम ज्यादा समझदार नहीं हो ये कच्ची गोली खेलना बंद कर दो ।
- कटी पतंग होना – (निराश्रित होना)– उसकी तो कटी पतंग है जिधर राह दिखेगी उधर चल देगा ।
- कठपुतली होना – (इशारों पर चलना)– तुम तो अजीत के हाथ की कठपुतली हो वह जैसा कहेगा तुम वैसा करोगे ।
- कब्र में पैर लटकना – (मौत के करीब होना)– यहाँ पर पैर कब्र में लटक रहे हैं और तुम घुमने जाने की बात करते हो ।
- कढ़ी का सा उबाल – (मामूली जोश)– तुम्हारा क्रोध ऐसा है जैसे कढ़ी में उबाल होता है ।
- कड़वे घूँट पीना – (असहनीय बात को सहना)– उसके भाई ने उसे बहुत बुरा भला कहा लेकिन वह कडवे घूंट पीकर रह गया ।
224.कलेजा छलनी होना – (बहुत दुःखी होना) – अपनी बहन द्वारा ऐसी बातें सुनकर उसका कलेजा छलनी हो गया ।
- कसौटी पर कसना – (परखना)– मोहन परीक्षा देकर आया था पर आते ही उसके बड़े भाई ने उसे कसौटी पर कस दिया ।
- कागज काले करना – (व्यर्थ लिखना)-तुम पढाई में ध्यान दो व्यर्थ कागज काले करने छोड़ दो ।
- कान मेँ फूँक मारना – (प्रभावित करना)– हमने उनके कान में फुक मारा तो वे हमारी बात को समझ गये ।
- काया पलट होना – (बिल्कुल बदल जाना)– पहले वे क्या थे और अब तो उनकी काया ही पलट हो गई ।
- कालिख पोतना – (बदनाम करना)– बिना बात के किसी पर कालिख मत पोता करो ।
- किताब का कीड़ा – (हर समय पढ़ते रहना)– तू पास होते हो पर हर वक्त किताबी कीड़े की तरह लगे रहते हो ।
- कंचन बरसना – (जगह से धन मिलना)– शादी में तो एक बार कंचन जरुर बरसता है ।
- काट खाना – (अकेलेपन का अहसास होना)– अब घर का ये सूनापन काटने को दौड़ता है ।
- कलम तोडना – (सुंदर लिखना)– जयशंकर प्रसाद ने कामयनी लिखने में कलम तोड़ दी थी ।
ख से शुरू होने वाले मुहावरे :
- खून का प्यासा – (कट्टर शत्रु)– बदले की भावना मनुष्य को खून का प्यासा बना देती है ।
235.खाक छानना – (मारा – मारा फिरना) – बेरोजगारी होने के कारण पढ़े-लिखे भी खाक छानते फिरते हैं ।
- खबर लेना – (दंड देना)– सोनू तुम्हारी बहुत शिकायत आ रही है मैं तुम्हारी खबर लूँगा ।
- खाक उड़ाते फिरना – (भटकना)– अपनी सारी सम्पत्ति बर्बाद करने के बाद अब वह खाक छानते फिरता है ।
- खाक में मिल जाना – (नष्ट हो जाना)– अगर भगवान की बुराई करोगे तो खाक में मिल जाओगे ।
- खिलखिला पड़ना – (खुश हो जाना)– खिलोने देने से सभी बच्चे खिलखिला उठते हैं ।
- खुशामदी टटूट होना – (चापलूस होना)– तुम्हारा क्या है तुम तो खुशामदी टटूट हो किसी न किसी तरह अपना काम बना ही लोगे ।
- खून की नदी बहाना – (मार-काट होना)– जब भी युद्ध होता तब तब खून की नदियाँ भ जाती हैं ।
- खून खौलना – (क्रोधित होना)– जब द्रौपदी का अपमान हुआ था तब भीम का खून खौलने लगा था ।
- खेत आना – (लड़ाई में मारा जाना)– 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के हजारो सैनिक खेत आये ।
- ख्याली पुलाव पकाना – (असंभव बातें सोचना)– कुछ काम भी करना है या बस ख्याली पुलाव ही पकाओगे ।
- खटाई मेँ पड़ना – (टल जाना)– आज यह काम नहीं होगा यह काम तो अब खटाई में ही पड़ेगा ।
- खालाजी का घर – (आसन काम)– यह काम तो मेरे लिए खाला जी के घर के बराबर है ।
- खिचड़ी पकाना – (गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना)– मुझे आखिर समझ नहीं आता की इन दोनों में क्या खिचड़ी पक रही है ।
- खून का घूँट पीना – (क्रोध को अंदर ही अंदर सहना)– उसने इतनी जली कटी सुनाई लेकिन वह तो खून का घूंट पीकर रह गया ।
- खून सूखना – (डर जाना)– भूत को देखते ही उसका खून सूख गया ।
- खून सफेद हो जाना – (दया न रह जाना)– उसका अब खून सफेद हो गया है वह अब तुम्हारी जज्बाती बातों को समझ नहीं पाएगा ।
ग से शुरू होने वाले मुहावरे :
- गड़े मुर्दे उखाड़ना– (पुरानी बातें याद करना)– मेरी दीदीजी हर बात में गड़े मुर्दे उखाड़ने लगती हैं ।
- गागर में सागर भरना – (कम शब्दों में अधिक कहना)– स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमन्त्री जी का भाषण गागर में सागर था ।
- गुदड़ी का लाल– (गरीब परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति)– लालबहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे ।
- गड्ढे खोदना – (शाजिस करना)– जो लोग दूसरों के लिए गड्ढे खोदते हैं वो उसमें खुद गिरते हैं ।
- गहरी छनना– (पक्की दोस्ती होना)– इन दोनों राम और श्याम में गहरी छन रही है ।
- 2 गांठ बंधना– (याद रखना)– पिताजी की बात गांठ बांध लो नहीं तो बादमें बहुत पछताओगे ।
- गिरगिट की तरह रंग बदलना – (जल्दी विचार बदलना)– लक्ष्मण की बात का क्या भरोषा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है ।
- गुड गोबर करना –(बना हुआ काम बिगाड़ देना) – मैने उसे बहुत समझकर तैयार किया था लेकिन तुमने सारा गुड गोबर कर दिया ।
- गुल खिलाना –(अनोखे काम करना) – तुमने एन मौके पर ऐसा गुल खिला दिया ।
- गाजर मूली समझना –(छोटा समझना) – हम अपने दुश्मनों को गाजर मूली समझते हैं ।
- गोटी लाल होना –(लाभ होना) – तुम्हे क्या फर्क पड़ता है तुम्हारी गोटी तो लाल हो रही है ना ।
- गोली मरना –(उपेक्षा से त्याग देना) – बेकार की बातों को गोली मारो और अपने कम पर ध्यान दो ।
- गोलमाल करना –(गडबड करना) – कुछ लोग आफिस में कई दीनों से गोलमाल क्र रहे थे आज वो पकड़े गये ।
- गंगा नहाना –(बड़ा कार्य करना) – मेरी बेटी की शदी हो गई है मानो मैंने तो गंगा नहा ली है ।
- गत बनाना –(पीटना) – सुरेश अब तो लखन को गत बनाना बंद करो ।
- गर्दन उठाना –(विरोध करना) – तुम हर फैसले पर गर्दन मत उठाया करो यह अच्छी बात नहीं है ।
- गले का हार –(बहुत प्रिय) – सोहन अपने माँ-बाप के गले का हार है ।
- गर्दन पर सवार होना– (पीछे पड़ना) – सोनू तो आज मेरी गर्दन पर सवार होकर ही रहेगा ।
- गज भर की छाती होना –(बहादुर होना) – उस वीर योद्धा को तो देखो उसकी गज भर की छाती है ।
270.गाल बजाना – (डींग मरना) – सुमन को देखो वह तो अपने घर वालों के बारे में हमेशा गाल बजती रहती है ।
- गीदड़ धमकी –(दिखावटी धमकी देना) – तुम पर लड़ना नहीं आता ये गीदड़ धमकी किसी और को देना ।
- गूलर का फूल –(दुर्लभ व्यक्ति) – तुम उससे क्या लड़ोगे वह तो बिचारा गूलर का फूल है ।
- गेंहूँ के साथ घुन पिसना –(दोषी के साथ निर्दोष पर भी समस्या आना) – जब उसका साथ रहेगा तो गेंहूँ के साथ घुन तो पिसना ही था ।
274.गोबर गणेश – (मूर्ख होना) – तुम उसे कुछ नहीं समझा सकते वह तो गोबर गणेश है ।
275.गर्दन झुकाना – (लज्जित होना) – मेरे सामने आते ही उसकी गर्दन झुक गई ।
- गर्दन पर छुरी फेरना –(अत्याचार करना) – तुम उस बेकसूर के गर्दन पर छुरी मत फेरों ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होगा ।
- गला घोंटना –(दुःख देना) – आजकल तो सरकार भी गरीबों का गला घोट रही है ।
- गला फँसाना –(बंधन में पड़ना) – दूसरों के मामले में हमे कभी गला नहीं फँसाना चाहिए ।
- गले मढना –(जबरदस्ती काम करवाना) – इस बेवकूफ को भगवान ने मेरे गले क्यूँ मढ़ दिया ।
- गुलछर्रे उड़ाना –(मौज करना) – तुम किसी और की सम्पत्ति पर गुलछर्रे कैसे उदा सकते हो ।
घ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- घड़ों पानी पड़ना –(बहुत लज्जित होना) – बड़े भाई के रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने पर उस घड़ों पानी पद गये ।
- घोड़े बेचकर सोना –(निशिंचित होना) – बेटी तो ब्याह दी अब क्या , घोड़े बेचकर सोओं ।
- घी के दिए जलाना –(खुशी मनाना )- श्री रामचन्द्र जी ने जब अयोध्या में प्रवेश किया तो जनता ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया ।
- घर का न घाट का –(बेकार) – अभी की नौकरी तो छूटी उसके माँ-बाप ने भी घर से निकाल दिया वह तो न घर का रहा न घाट का ।
- घाट – घाट का पानी पीना –(अनुभवी होना) – तुम उसे जानते नहीं हो वह तुम्हे पहचान लेगा उसने तो घाट-घाट का पानी पिया है ।
- घुटना टेक देना –(हार मानना) – भरतीय लोगों ने विदेशियों को इतना सताया की उन्होंने अपने घुटने टेक दिए ।
- घुला-घुला कर मरना –(सताकर मारना) – रामू ने अपने दोस्त को घुला-घुला कर मारा ।
- घर फूंककर तमाशा देखना –(अपना ही नुकशान करके खुश होना) – तुमने अपने मजे के लिए एक तो घर फूंक दिया और तमाशा देख रहे हो ।
- घड़ी में तोला घड़ी में माशा –(अस्थिर व्यक्ति) – तुम किस के पीछे हो वह तो घड़ी में तोला घड़ी में माशा की तरह का व्यक्ति है ।
- 2 घास खोदना –(व्यर्थ समय गँवाना) – तुम लोग ये घास खोदना बंद करो और घर के काम में हाथ बटा लो ।
- घाव पर नमक छिडकना –(दुखी को और दुखी करना) – एक तो उसका भाई मर गया है और उपर से तुम उसके घाव पर नमक छिडक रहे हो ।
- घर का भेदी लंका ढाए –(आपसी फूट से भेद खुलना) – एक व्यक्ति पहले कांग्रेस में था अब जनता पार्टी में है तो सही कहते हैं घर का भेदी लंका ढाए ।
- घर सिर पर उठाना –(बहुत शोर मचाना) – बच्चों ने तो घर सिर पर उठा लिया था ।
च से शुरू होने वाले मुहावरे :
- चुल्लू भर पानी में डूब मरना –(लज्जित होना) – अपनी माता जी को गाली देने के अपराध में उसे चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए ।
- चिकना घडा होना– (बेशर्म होना) – भावना को चाहे जितना भी डाटो , परन्तु वह तो चिकना घडा है ।
- चार चाँद लगाना –(शोभा बढ़ाना) – मेरे मित्रों के उत्सव में शामिल होने से उत्सव में चार चाँद लग गए ।
- चकमा देना –(धोखा देना) – ठग दुकानदार को चकमा देकर हार उठाकर ले गए ।
- चंगुल में आना –(वश में आना) – जब वो मेरे चंगुल में फस जायेगा तब में उसे देखूंगा ।
- चण्डाल चौकड़ी –(बुरे लोगों का समूह) – उसे अपनी चण्डाल चौकड़ी में ही मजा आता है वह घर क्यूँ आएगा ।
- चक्कर में डालना –(परेशान करना) – उसने मुझसे कुछ कहा लेकिन मैं उसका जवाब न सोच सका जिस वजह से मैं चक्कर में पड़ गया ।
- चक्कर में आना –(धोखा खाना) – मेरी मत मरी गई थी जो मैं उसके चक्कर में आ गया ।
- चल निकलना –(जम जाना) – अपने हमें हमेशा याद आते हैं लेकिन वो हम ही से दूर चल निकलने में सोचते भी नहीं हैं ।
- चाँदी काटना –(बहुत पैसे कमाना) – खेती में वे खूब चाँदी कट रहे हैं ।
- चाँदी का जूता मरना –(रिश्वत देना) – इस जमाने में जिसे चाँदी का जूता मारा जाता है वही हमारा गुलाम बन जाता है ।
- चलती चक्की में रोड़ा अटकना –( बाधा उत्त्पन्न करना) – वह गया तो था काम करने के लिए लेकिन क्या करें जब चलती चक्की में रोड़ा ही अटक गया ।
- चप्पा-चप्पा छान मारना –(सब जगह ढूँढना) – सब लोग चप्पा-चप्पा छान मरो राम कहीं न कहीं तो मिलेगा ।
- चाँदी का जूता –(काला धन) – जब आयकर विभाग वालों ने अभ्य के घर छापा मारा तो वहाँ से बहुत चाँदी का जूता मिला ।
- चाँदी होना –(लाभ होना) – अगर हमारा काम चल गया तो हमारी चाँदी ही चाँदी है ।
- चादर से बाहर पैर पसारना– (आमदनी से ज्यादा खर्च करना) – तुम चादर से बाहर पैर मत पसारो अगर तुमने ऐसा किया तो बाद में तुम बहुत पछताओगे ।
- चादर तान कर सोना –(बेफिकर होकर सोना) – मेरा सारा बोझ उतर गया अब तो मैं चादर तान कर सोऊंगा ।
- चार चाँद लगाना –(शोभा बढ़ाना) – मेरी शादी में आकर तुमने चार चाँद लगा दिए ।
- चार दिन की चांदनी– (थोडा सुख) – भाई तुम इतना घमंड मत करो यह तो चार दिन की चांदनी है ।
- चिराग तले अँधेरा –(खुद बुरा होकर दूसरों को उपदेश देना) – शं दूसरों को समझता फिरता है लेकिन खुद के घर में चिराग तले अँधेरा है ।
- चिकनी चुपड़ी बातें करना– (मीठी बातें करके धोखा देना) -ये चिकनी चुपड़ी बातें मत करो मैं इन में नहीं आने वाला ।
- चींटी के पर निकलना –(घमंड करना) – तुम बहुत उड़ने लगे हो ऐसा मानो जैसे चींटी के पर निकल आये हों ।
- चुटिया हाथ में होना –(काबू में होना) – तुम उससे क्या कहोगे उसकी तो चुटिया किसी के हाथ में है ।
- चूना लगाना –(धोखा देना) – उसने मुझ से मुनाफे की बात की पर मुनफे के नाम पर वह मुझे चूना लगा गया ।
- चूड़ियाँ पहनना –(औरतों की तरह कायर होना) – तुम तो कायर हो तुम्हे चूड़ियाँ पहन लेनी चाहिएँ ।
- चहरे पर हवाईयाँ उड़ना –(घबरा जाना) – जब मुझे किसी की परछाई दिखी तो मेरे चहरे की हवाईयाँ उड़ गयीं ।
- चैन की बंशी बजाना –(सुखी रहना) – वह तो बेचारा अपनी चैन की बंशी बजा रहा है ।
- चोटी का पसीना एडी तक आना –(बहुत परिश्रम करना) – उसने पैसे कमाने में चोटी का पसीना एडी यक लगा दिया ।
- चोली दामन का साथ –(घनिष्ठ रिश्ता) – उन दोनों का साथ तो ऐसा मानो जैसे चोली दामन का साथ हो ।
- चौदहवी का चाँद– (सुंदर होना) – उस लडकी को तो देखो मानो चौदहवी का चाँद हो ।
- चंपत होना –(भागना) – चोर पुलिस को देखते ही न जाने कहाँ चंपत हो गया ।
- चौकड़ी भरना –(छलाँगें लगाना) – हिरन चौकड़ी भरते ही कहाँ से कहाँ पहुंच जाते हैं ।
- चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये –(बहुत कंजूस होना) – महेंद्र अपने बेटे को कपड़े भी नहीं देते वह तो यह मानता है की चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये ।
- चैपट करना –(पूरी तरह नष्ट करना) – उसने तो मेरा बना बनाया काम चैपट क्र दिया ।
- चम्पत होना –(गायब होना) – लोकेश ने मुझसे पैसे लिए थे पर जब उसे मैं दिख गया तो वह चम्पत हो गया ।
छ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- छक्के छुड़ाना –(हिम्मत तोडना) – अंग्रेजी का प्रश्न पत्र इतना कठिन आया था कि अच्छे-अच्छे विद्यार्थियों के छक्के छूट गए ।
- छठी का दूध याद आना– (बहुत कष्ट होना) – चार किलोमीटर तक पैदल चलने में दीनानाथ को छठी का दूध याद आ गया ।
- छाती पर मूंग दलना –(किसी से दुःख की बात कहना) – पता नहीं तुम यहाँ से कब जाओगी तुम मेरी छाती पर मूंग दलती रहूंगी ।
- छाती पर साँप लोटना –(जलन होना) – दूसरे की तरक्की देखकर तुम्हारी छाती पर साँप लोटते हैं ।
- छान बीन करना –(जाँच पड़ताल करना) – छान बीन करने पर भी पुलिस वालों को चारी का कोई सुराग नहीं मिला ।
- छीछालेदर करना –(बुरा हाल करना) – आज मोदी जी ने नेताओं की खूब छीछालेदर की ।
- छू मंतर होना –(भाग जाना) – बड़े भाई को देखते ही श्याम छू मंतर हो गया ।
- छप्पर फाड़ कर देना –(बहुत लाभ होना) – जब भी भगवन देता है छप्पर फाड़ के देता है ।
- छाती पर पत्थर रखना –(चुपचाप दुख सहना) – उसने अपनी छाती पर पत्थर रखकर सारे दुखों को शं किया है ।
- छोटे मुंह बड़ी बात करना– (अपनी औकात से ज्यादा कहना) – उस लडके ने तो छोटा मुंह बड़ी बात कर दी ।
- छठी का दूध याद आना –(मुसीबत में फसना) – वह तो ऐसी मुसीबत में फसा है कि से तो छठी का दूध याद आ गया होगा ।
- छाती ठोकना –(उत्साहित होना) – जब उसे नई साईकल मिली तो वह खुशी से छाती पीटने लगा ।
ज से शुरू होने वाले मुहावरे :
- जंजाल में फसना –(झंझट में फसना) – वह बेचारा तो जंजाल में फस गया है अब ववह हमारे लिए समय कहाँ से निकले ।
- जले पर नमक छिडकना –(दुखी को और दुखी करना) – ये गरीब लोग पहले से ही दुखी हैं अब उनके जले पर नमक मत छिडको ।
- जड़ उखाड़ना –(पूर्ण रूप से नष्ट कर देना) – भारतियों ने विदेशी लोगों की भारत से जड़ उखाड़ दी ।
- जबानी जमा खर्च करना– (काम करने की जगह बातें करना) – बस जबानी जमा खर्च मत करो कुछ काम भी कर लिया करो ।
- जमीन आसमान एक करना –(बहुत परिश्रम करना) – फसल अच्छी उगने के लिए सानों ने जमीन आसमान एक कर दिया ।
- जमीन पर नाक रगड़ना –(माफ़ी माँगना) – मुकेश ने सुमेश के समने अपनी नाक जमीन पर रगड़ी ।
- जमीन पर पैर न रखना –(घमंड करना) – वह इतना अमीर हो गया है कि जमीन पर पैर ही नहीं रखता ।
- जलती आग में घी डालना –(झगड़ा बढ़ाना) – उनके बीच पहले से ही झगड़ा हो रहा था तुमने और जलती आग में घी दाल दिया ।
- जली कटी सुनाना –(बेयिजती करना) – सुमेश ने अपने छोटे भाई को बहुत जली कटी सुनाई ।
- जहर का घूंट पीना –(क्रोध को रोकना) – उसने अपने भाई को बहुत जली कटी सुनाई पर वह जहर का घूंट पीकर रह गया ।
- जी की जी में रहना –(इच्छा पूरी न होना) – मैंने चाहा था की मै अपने सपनों को पूरा करूंगी पर मेरी जी की जी में रह गई ।
- जी नहीं भरना –(संतोष न होना) – तुम्हे इतना कुछ मिला है तब भी तुम्हारा जी नहीं भर रहा है ।
- जी भर आना –(दया आना) – दुखियों को देखकर जिसका जी भर आये वही सच्चा इन्सान है ।
- जीती मक्खी निगलना –(बिलकुल बेईमान होना) – वह तो जीती मक्खी को भी निगल जाता है और किसी को पता भी नहीं लगने देता ।
- जीवन दान बनना –(जीवनरक्षा करना) – डॉक्टरों की दवा रोगियों के लिए जीवनदान बन गई है ।
- जूतियाँ सीधी करना –(खुशामद करना) – अगर तुम्हे उन से अपना काम करवाना है तो उनकी जूतियाँ सीधी किया करो ।
- जोर लगाना –(बल लगाना) – रावण ने बहुत जोर लगाया पर शिव धनुष को हिला न सका ।
- जंगल में मंगल करना –(उजाड़ में चहल-पहल होना) – तुम उनकी चिंता मत करो उन्हें जंगल में मंगल करना आता है ।
- जलती आग में कूदना –(खतरे में पड़ना) – उनका क्या है उन्हें तो जलती आग में कूदने की आदत है ।
- जबान पर चढना –(याद आना) – अचानक से उसकी जुबान पर करीना का नाम आ गया ।
- जबान में लगाम न होना– (बिना वजह बोलते जाना) – तुम उससे बात मत किया करो उसकी जबान में लगाम नहीं है ।
- जमीन आसमान का फर्क –(बहुत बड़ा अंतर) – सुजाता और सरोज में जमीन आसमान का अंतर है ।
- जलती आग में तेल डालना –(झगड़ा बढ़ाना) – कुसुम से कोई बात मत किया करो उसे तो जलती आग में घी डालने की आदत है ।
- जहर उगलना –(कडवी बातें करना) – सूरज बातें नहीं कर्ता वह तो जहर उगलता है ।
- जान के लाले पड़ना –(संकट में पड़ना) – तुम उनसे क्या कहते हो उन्ही के जान के लाले पड़े हुए हैं ।
- जान पर खेलना– (मुसीबत का काम करना) – सर्कस में एक बच्चे ने अपनी जान पर खेल कर करतब दिखाए ।
- जान हथेली पर रखना –(जिनगी की पपरवाह न करना) – भारतीय सैनिक अपनी जान हथेली पर लेकर घूमते हैं ।
- जी चुराना –(काम से भागना) – तुम उससे काम करने के लिए मत कहा करो वह तो काम से जी चुराता है ।
- जी का जंजाल –(व्यर्थ का झंझट)- अब सोहन से क्या कहें वह तो हमारे जी का जंजाल बन चूका है ।
- जी भर जाना –(ऊक जाना) – अब तुम्हारा इस खिलौने से जी भर चूका है ।
- जी पर आ बनना –(मुसीबत में फँसना) – मैं तुम्हे कैसे बचाऊ यहाँ तो अपने ही जी पर आ बनी है ।
- जूतियाँ चटकाना –(मारे-मारे फिरना) – तुम्हे तो जूतियाँ चटकाना है लेकिन हमें तो बहुत काम करना होता है ।
- जूतियाँ चाटना– (चापलूसी करना) – राकेश तो तुम्हारी जूतियाँ चाटता फिरता है ।
- जूतियों में दाल बाँटना –(लड़ाई झगड़ा हो जाना) – यहाँ पर आने का कोई फायदा नहीं यहाँ पर तो जूतियों में दाल बंट रही है ।
- जोड़-तोड़ करना –(उपाय सुझाना) – हम कोई न कोई जोड़ तोड़ करके इस मुसीबत का हल निकाल ही लेंगे ।
- जिसकी लाठी उसकी भैंस –(बलशाली की जीत होती है) – आज हमे यहाँ पर सब कुछ पता लग जायेगा जिसकी लाठी उसकी भैंस होगी ।
झ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- झक मारना –(विवश होना) – तुम लोगों के पास झक मरने के शिवा कोई काम नहीं है पर हमें तो काम करना पड़ता है ।
- झाँसा देना –(धोखा देना) – लक्की ने मुझे झाँसा देकर मेरी किताब हथिया ली ।
- झाड़ फेरना –(मान खत्म करना) – एक नीच व्यक्त ने तुमसे रिश्ता बनाकर तुम्हारी इज्जत पर झाड़ फेर दिया ।
- झाड़ मारना –(डाँटना) – माँ ने थोड़ी सी बात पर उसे झाड़ मार दी ।
- झाड़ू फिराना– (सब बर्बाद करना) – मैंने बड़ी मुश्किल से वो काम किया था पर उसने मेरे बने बनाए काम पर झाड़ू फेर दिया ।
- झोली भरना –(इच्छा से अधिक देना) – उसके पिता ने कन्यादान करते समय उसकी झोली भर दी ।
- झगड़ा मोल लेना –(जानकर झगड़े में पड़ना) – तुम्क्युन झगड़ा मोल लेते हो उनकी तो आदत बन गई है झगड़ा की ।
ट से शुरू होने वाले मुहावरे :
384.टक्कर लेना – (मुकाबला करना) – भारतीय खिलाडियों का पाकिस्तानी खिलाडियों से टक्कर लेना आसन नहीं था ।
- टका सा जवाब देना –(मना करना) – मैंने अपने रिश्तेदारों से बहुत उमीद की थी पर उन्होंने मुझे टका सा जवाब दे दिया ।
- टका सा मुंह लेकर रह जाना –(शर्मिंदा होना) – जब समय काम करने से नाट गया तो उसके पिता जी टकसा मुंह लेकर रह गये ।
- टट्टी क ओट में शिकार करना– (छिपकर गलत काम करना) – आजकल के नेता टट्टी की ओट में शिकार खेलना अच्छी तरह से जानते हैं ।
- टस से मस न होना– (बिलकुल न हिलना) – मैंने उससे काम के लिए कहा था पर वह टस से मस नहीं हुआ ।
- टाऍ- टाऍ फिस होना– (असफल होना) – उसकी योजना तो अच्छी थी पर वो टाएँ टाएँ फिस हो गई ।
- टाल – मटोल करना– (बहाने बनाना) – अगर तुम्हे मेरे पैसे नहीं देने तो मुझे कह दो टाल – मटोल करके मुझे परेशान मत करो ।
- टूट पड़ना– (हमला करना) – शिवाजी की सेना मुगल सेना पर टूट पड़ी ।
- टांग अडाना– (दखल देना) – तुम लोगों को टांग अड़ाने के सिवा और कोई काम नहीं है ।
- टेढ़ी ऊँगली से घी निकालना– (आसानी से काम न होना) – जब कोई काम सीधे तरीके से न हो तो ऊँगली टेढ़ी करने में ही समझदारी है ।
- टेढ़ी खीर होना –(मुश्किल काम) – कुत्ते की दुम को सीधा करना टेढ़ी खीर के समान है ।
- टोपी उछालना –(अपमान करना) – सुखदेव ने सरे आम जयसिंह की टोपी उछाल दी ।
- टाट उलटना –(आप को गरीब कहना) – उसने सारा लाभ कम कर टाट उलट दिया ।
- टें-टें-पों-पों –(व्यर्थ शोर मचाना) – झगड़ा उन दोनों के बीच है तुम क्यूँ टें-टें-पों-पों मत करो ।
- टुकड़ों पर पलना –(दूसरों के पैसों पर जीना) – लक्ष्मी तो बेचारी दूसरों के टुकड़ों पर पलती है ।
- टेक निभाना –(वादा पूरा करना) – तुम्हे अपना टेक निभाना होगा तुम अब पीछे नहीं हट सकते ।
ठ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- ठंढा करना –(शांत करना) – पिता जी गुस्से से उबल रहे थे बड़ी मुश्किल से उन्हें ठंडा किया है ।
- ठंडा होना –(शांत होना) – विदेशी सैनिक लक्ष्मीबाई की तलवार से वार खाकर ठंडे पद गये ।
- 4 ठकुर सुहाती करना– (चापलूसी करना) – अफसरों की ठकुर सुहाती करके सेठजी ने बहुत धन कमाया है ।
- ठनठन गोपाल होना –(गरीब होना) – तुम उससे पैसे पाने की आशा क्र रहे हो पर इस समय तो वह खुद ही ठनठन गोपाल हुआ बैठा है ।
- ठोकर खाना –(हानि सहना) – उसने रामू पर भरोसा किया और उसे ठोकर खानी पड़ी ।
- ठगा सा –(भौंचक्का सा) – जब उसे अपनी हानि के बारे में पता चला तो वह ठगा सा रह गया ।
- ठठेरे-ठठेरे बदला– (समान बुद्धि वाले से काम करना) – मुझे यह काम सुभाष से करवाना था पर ठठेरे-ठठेरे बदला कैसे किया जाये ।
- ठीकरा फोड़ना– (दोष लगाना) – जब उसे उसके बारे में सबकुछ पता चल गया तो वह उसका ठीकरा फोड़ने लगा ।
- ठिकाने आना –(होश में आना) – जब उसे अपनी सचाई पता चली तो उसके होश ठिकाने आ गये ।
ड से शुरू होने वाले मुहावरे :
- डंक मारना –(असहनीय बातें कहना) – तुम संध्या से बातें मत किया करो ह बातें नहीं कहती वह तो डंक मरती है ।
- डंके की चोट पर कहना –(खुल्लम खुल्ला कहना) – वो बात जरूर सच होगी तभी तो डंके की चोट पर कही गई है ।
- डुबते को तिनके का सहारा होना –(असहाय का कोई भी सहारा होना) – किसी कठिनाई में पड़ते हुए को तिनके का सहारा बहुत होता है ।
- डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना– (अलग होना) – अगर हम डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाएंगे तो लोग हमें अलग कर देंगे ।
- डकार जाना –(हडप जाना) – सीताराम अपने भाई की सारी सम्पत्ति डकार गया ।
- डींग हाँकना –(बढ़ चढ़ कर कहना) – तुम डींगें हाँकना बंद करो हमें पता है तुम कैसे हो ।
- डोरी ढीली करना –(बिना संभाले काम करना) – तुमसे बिना डोरी ढीली किये कोई काम नहीं होता क्या ।
- डंका बजाना –(घोषणा करना) – उसने नए नियमों का डंका बजा दिया ।
- डोरे डालना –(प्यार में फसाना) – सपना बहुत दीनों से रमेश पर डोरे दाल रही है ।
- डूब मरना– (शर्म से झुकना) – तुमने ऐसा काम किया है की तुम्हे डूब मरना चाहिए ।
ढ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- ढाई दिन की बादशाहत –(कम समय का सुख) – यह ढाई दिन की बादशाहत है कभ भी खत्म हो जएगी ।
- ढाक के तीन पात –(हमेशा एक जैसा रहना) – मैंने जब भी उसे देखा है ढाक के तीन पात ही पाया है ।
- ढिंढोरा पीटना –(सबको बताना) – उसने हमारी बातें सुन ली हैं वह तो सारे गाँव में ढिंढोरा पीत देगा ।
- ढेर करना –(मार डालना) – बलराम ने अपने विरोधियों को ढेर कर दिया ।
- ढील देना –(अपने वश में न रखना) – तुमने उसे बहुत ढील दे रखी है उसे अपने काबू में रखा करो ।
- ढेर होना –(मर जाना) – अकबर के विरोधी उसके सामने ढेर हो गये ।
- ढपोरशंख होना– (झूठा व्यक्ति) – तुम किशन से कुछ मत कहा करो वह तो ढपोरशंख व्यक्ति है ।
- ढोल में पोल होना –(खाली होना) – उस वस्तु का वजन तो बहुत था पर उसमें था कुछ नहीं यह तो ढोल में पोल वाली बात हो गई ।
त से शुरू होने वाले मुहावरे :
- तूती बोलना – (प्रभाव जमाना) – आजकल तो आपकी ही तूती बोल रही है ।
429.तकदीर चमकाना- (अच्छे दिन आना) – जब से उसे नौकरी मिली है उसकी तो तकदीर ही चमक गई ।
- तख्ता उलटना –(बना हुआ काम बिगड़ना) – इस काम में मैने इतना कमाया था लेकिन तुमने दूसरा सौदा करके मेरा तख्ता उलट दिया ।
- तबीयत फड़क उठना –(मन खुश होना) – पंकज उदास जी की गजलें सुनकर मेरी तो तबीयत ही फड़क उठी ।
- तलवार के घाट उतारना –(मार देना) – श्रवण ने बहुत से द्रोहियों को अपनी तलवार के घाट उतार दिया ।
- तलवे धो कर पीना –(खुशामद करना) – वह अपने मालिक के तलवे धोकर पिता रहा इसीलिए तो उसे आज अपने मालिक की सम्पत्ति में हिस्सा मिला ।
- ताक में रहना –(मौका देखना) – मैं बहुत दिनों से तुम्हारी ताक देख रहा हूँ ।
- ताना मारना –(व्यंग्य करना) – मेरे पिताजी हर छोटी -छोटी बात पर मुझे ताना मरते रहते है ।
- तारे गिनना –(इंतजार करना) – मैं उनके आने तक रात भर तारे गिनता रहा ।
- तारे तोड़ लाना –(असंभव काम करना) – उसने अपनी पत्नी से कहा की वह उसके लिए तारे भी तोड़ कर ला सकता है ।
- तिनके का सहारा –(थोडा सहारा) – हम जैसे गरीबों के लिए तो तिनके का सहारा ही बहुत होता है ।
- तिल का ताड़ कर देना –(बहुत बढ़ा चढ़ाकर कहना) – जितनी बात होती है उतनी ही कहनी चाहिए हमें तिल का ताड नहीं बनाना चाहिए ।
440.त्राहि-त्राहि करना – (बचाव के लिए गुहार करना) – जब से जमींदार किसानों पर अत्याचार करने लगे हैं तब से किसान त्राहि-त्राहि करने लगे हैं ।
- तह देना –(दवाई देना) – डॉक्टर ने अपने मरीज को तह दी और मरीज उससे ठीक हो गया ।
442.तह –पर-तह देना – (खूब खाना) – कुंभकर्ण को खूब तह पर तह दिया जाता था क्योंकि वह बहुत विशाल था ।
- तरह देना –(ध्यान न रखना) – डॉक्टर अपने मरीजों को तरह नहीं देता था इसलिय मरीज मर गया ।
- तंग करना –(हैरान करना) – लवकेश ने मुझे बहुत तंग क्र दिया है ।
- तंग हाथ होना– (गरीब होना) – आजकल हम कुछ खरीद नहीं सकते क्योंकि इस समय हमारा हाथ तंग है ।
- तेवर बदलना –(क्रोध करना) – उससे कुछ कहना बेकार है उसके तेवर बदलते रहते हैं ।
- तुक में तुक मिलाना –(खुशामद करना) – वह तो सामने तुक में तुक मिलाता है पर बाद में चुगली करता है ।
- तोते की तरह आँखें फेरना –(बेमुरौवत होना) – उसके सामने कोई काम मत किया करो वह तोते की तरह ऑंखें फेरता रहता है ।
- तार-तार होना –(बुरी तरह फटना) – उसके सामान से भरे थैले के तार-तार हो गये ।
- तितर – बितर होना –(बिखर जाना) – उसके 6 भाई थे अब सब तितर बितर हो गये है ।
- तेल की कचौड़ियों पर गवाही देना –(सस्ते में काम करना) – अदालत में उसने तेल की कचौड़ियों पर गवाही दी थी ।
- तेली का बैल होना –(हर समय काम करना) – वह तो तेली के बैल की तरह है कभी थकता ही नहीं है ।
- तिलांजली देना –(त्यागना) – धर्म ने अपनी पत्नी को तिलांजली दे दी ।
थ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- थुड़ी –थुड़ी करना –(धिक्कारना) – उसके नीच कर्म करने पर सभी उसके मुंह पर थुड़ी-थुड़ी कर रहे थे ।
- थू थू करना –(लज्जित करना) – तुम्हारे कामों पर सब थू थू करेगे ।
- थूककर चाटना –(वचन से मुकरना) – तुम जैसे आदमी पर कभी भी भरोषा नहीं करना चाहिए तुम तो थूककर चाटने लगते हो ।
- थूक से सत्तू सानना –(बहुत कंजूसी करना) – मोहन से पैसे नहीं मिलेंगे वह तो थूक से सत्तू सानता है ।
- थोथी बात होना –(बिना मतलब की बात होना) – पवन से बात करने का कोई फयदा नहीं है उसकी तो थोथी बात होती है ।
- थाली का बैंगन होना –(अस्थिर विचारों वाला) – तुम उससे क्या कहते हो वह तो थाली का बैंगन है कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ ।
- थाह लेना –(पता लगाना) – तुम स्यम्सिंह के बारे में थाह लेकर आओ ।
- थैली खोलना –(मन खोलकर खर्च करना) – हमें हमेशा थैली खोलकर खर्च करना चाहिए ।
द से शुरू होने वाले मुहावरे :
- दांत खट्टे करना –पराजित करना – महारानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए ।
- दाँतों तले उँगली दबाना –आश्चर्य प्रकट करना – सर्कस में छोटे से बच्चे के अद्भुत खेल को देखकर दर्शकों ने दाँतों तले ऊँगली दबा ली ।
- दबी जबान से कहना – (धीरे-धीरे कहना) – नौकर ने अपनी बात मालिक से दबी जबान में कही जिससे उसके मालिक को सुनाई न दे ।
- दम भरना –(विश्वास करना) – वह तो हमेशा अपनी दोस्ती का दम भरता रहता है ।
- दर –दर मारा फिरना –(दुर्दशाग्रस्त घूमना) – पवन ने नौकरी छोड़ दी और अब वह दर-दर मारा फिर रहा है ।
- दलदल में फसना –(मुश्किल में फसना) – वह गैर क़ानूनी कामों के दलदल में फस चूका है अब वह लौट नहीं सकता ।
- दांतकटी रोटी होना –(पक्की दोस्ती होना) – नरेश और रमेश में दांतकटी रोटी जैसा सम्बन्ध है ।
- दांत तोडना –(हराना) – अगर मुझसे कुछ उल्टा सीधा कहा तो मैं तुम्हारे दांत तोड़ दूंगा ।
- दाँतों में तिनका लेना –(अधीनता स्वीकार करना) – वीर शिवाजी के सामने सभी लोक दाँतों में तिनका लेकर प्रस्तुत हुए ।
- दाई से पेट छिपाना –(भेद छिपाना) – उसने मुझे अपना भेद बता ही दिया आखिर कब तक वह दाई से पेट छिपा पाता ।
- दाना पानी उठना –(अन्न जल न मिलना) – जब उसने अपनी नौकरी छोड़ दी तो उसका घर से दाना पानी उठ गया ।
- दाने-दाने को मुंहताज –(खाना न मिलना) – भिखारी दाने-दाने को मुंहताज हो गये हैं ।
- दाल गलना –(मतलब निकलना) – तुम्हारी दाल यहाँ पर नहीं गलेगी तुम कहीं और जाओ ।
- दाल भात का कौर समझना –(बहुत आसान समझना) – यह काम बहुत मुश्किल है कोई दाल भात का कौर नहीं है ।
- दाल में काला होना –(संदेह होना) – वे दोनों छिपकर कुछ बातें क्र रहे हैं जरुर दाल में कुछ काला है ।
- दिन दूना रात चौगुना होना –(तरक्की मिलना) – उसने पैसा कमाने में दिन दूनी रात चौगुनी कर दी ।
- दिल के फफोले फोड़ना –(मन की भडास निकलना) – उनकी अपने घर में तो चलती है नहीं गरीबों पर अपने दिल के फफोले फोड़ते रहते हैं ।
- 4 दिल्ली दूर होना –(लक्ष्य दूर होना) – अभी तो तुम एंटर में पास हुए हो और वकील बनने की सोच रहे हो अभी दिल्ली दूर है ।
- दीन दुनिया भूल जाना –(सुध बुध न रहना) – गौतम बुद्ध ध्यान लगाने में दीन दुनिया को भूल गये ।
- दिया लेकर ढूँढना– (परेशान होकर ढूँढना) – आजकल ईमानदार व्यक्ति दिया लेकर ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे ।
- दुनिया की हवा लगना –(सांसारिक अनुभव होना) – जब से उसे दुनिया की हवा लगी है वह हम को भूल गया है ।
- दुम दबाकर भागना –(कायर होना)- युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक दुम दबाकर भाग गये ।
- दूज का चाँद होना –(मुश्किल से दिखना) – अरे भाई तुम तो दूज का चाँद हो गये हो आजकल दीखते ही नहीं हो ।
- दूध का दूध पानी का पानी करना– (सही न्याय करना) – न्यायधीश के फैसले ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया ।
- दूध की लाज रखना –(माँ का सम्मान रखना) – पुष्प के बेटे ने उसके दूध की लाज रख ली ।
- दूध की नदियाँ बहाना –(संपन्नता की भरमार होना) – वह तो अब इतनी उन्नति पर है की उनके यहाँ पर दूध की नदियाँ बहती हैं ।
- दूध के दांत न टूटना –(अनुभवहीन होना) – गणेश अभी तुम्हारे दूध के दांत नहीं टूटे हैं पर मैंने ये दुनिया देखी है ।
- दूधो नहाओ पूतो फलो –(धन और संतान मिले) – एक माँ ने अपने बेटे से कहा दूधो नहाओ पूतो फलो ।
- दो दिन का मेहमान –(जल्दी मरनेवाला) – तुम उससे कुछ मत कहना वह तो बेचारा दो दिन का मेहमान है ।
- दो नावों पर पैर रखना –(दो विरोधी काम साथ करना) – सुमेस दो नावों पर सवार होने वाले कभी भी मर सकते हैं ।
- द्रविड़ प्रणायाम करना –(बात को घुमाकर कहना) – रानी हर बात को दूसरों से द्रविड़ प्रणायाम करने को कहती है ।
- दौड़ धूप करना –(बहुत प्रयास करना) – उसने बहुत दौड़ धूप की पर उसे नौकरी नहीं मिली ।
- दिन में तारे दिखाई देना –(घबरा जाना) – जब मैंने उसे मारा तो उसे दिन में तारे दिखाई दे गये ।
- दो-दो हाथ करना– (युद्ध करना) – कृष्ण ने कंस से खा की आओ दो-दो हाथ करते हैं ।
- द्रोपदी का चीर होना– (अनंत होना) – तुम्हारा यह काम तो द्रोपदी का चीर हो गया है ।
- दिमाग आसमान पर चढना –(ज्यादा गर्व होना) – तुम राहुल से बात मत किया करो उसका दिमाग तो आसमान पर चढ़ रहा है ।
- दोनों हाथों में लड्डू होना –(बहुत लाभ होना) – क्या करें उसके तो दोनों हाथों में लड्डू है ।
- दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना –(दूसरे के माध्यम से काम करना) – अक्षय तो उन व्यक्तियों में से है जो दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलते हैं ।
- 5 दिल छोटा करना –(दुखी होना) – बहन दिल छोटा मत करो तुम्हारा बेटा जल्द ही घर लौट आएगा ।
- दिन फिरना –(समय बदलना) – क्या करें जब से उसने भगवन को नमन करना शुरू किया है उसके तो दिन ही फिर गये ।
- दबे पाँव चलना –(कोई आहट न करना) – अरे भाई दबे पाँव चलना अगर किसी को पता चल गया तो बहुत पिटाई होगी ।
- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना– (छोटी बात के लिए बड़ा दंड देना) – राजा कंस के सैनिक दमड़ी क लिए चमड़ी उधेड़ लेते हैं ।
- दम तोड़ देना– (मर जाना) – अनुज भगवान के दर्शन करने गया था लेकिन उसने भगवान के मन्दिर में ही दम तोड़ दिया ।
- दाँत पीसना –(गुस्सा करना) – रामू के पिता जी हमेशा उस पर दांत पिसते रहते हैं ।
- दाँत पीसकर रहना –(गुस्सा होकर चुप रहना) – संजय के भाई ने उसे मरने के लिए कहा लेकिन वह दांत पीसकर रह गया ।
- दाँत उखाड़ना – (कड़ा दण्ड देना) – सैनिकों ने उसके सारे दांत उखाड़ दिए लेकिन वह तब भी नहीं माना ।
- दाहिना हाथ होना –(भारोषेवाला व्यक्ति) – नानू अपने मालिक का दाहिना हाथ था लेकिन वह मारा गया ।
- दामन पकड़ना– (सहारा लेना) – राकेश ने सहारा लेने के लिए अपने बड़े भाई का दामन पकड़ लिया ।
- दाव खेलना –(धोखा देना) – शकुनी ने पांडवपुत्रों के खिलाफ दाव खेला और उसमे सफल हो गया ।
- दीदे का पानी ढल जाना –(बेशर्म होना) – हुमायु तो मानो दीदे के पानी ढलने के हैं ।
- दिमाग खाना –(बकवास करना) – नैन्सी मेरा दिमाग मत खाओ मुझे बहुत काम है ।
- दिल बढ़ाना –(साहस भरना) – आजकल लोग किसी के भी दुःख में उसका दिल नहीं बढ़ते है ।
- दिल टूटना –(साहस टूटना) – अपनी प्रेमिका के मर जाने से उसका दिल बिलकुल टूट गया ।
- दुकान बढ़ाना –(दुकान बंद करना) – मेरे पिताजी ने कहा की दुकान को बढ़ा क्र घर आ जाना ।
- दिल दरिया होना –(उदार होना) – क्या करें बिचारे का दिल दरिया था इसलिय पिघल गया ।
- दूर के ढोल सुहावने –(दूर से अच्छा होना) – लोग कहते हैं की दूर के ढोल ही सुहावने लगते हैं वरना सब एक जैसे होते हैं ।
ध से शुरू होने वाले मुहावरे :
- धक्का लगाना –(दुःख होना) – आजकल किसानों का फसल में बहुत धक्का लगता है ।
- धज्जियाँ उड़ाना– (दोष दिखाना) – शशि ने धोखेबाज की धज्जियाँ उदा दी ।
- धता बताना –(टाल देना) – मैंने नेता जी से सहायता मांगी तो उन्होंने मुझे धता बता दिया ।
- धरना देना –(सत्याग्रह करना) – आन्दोलनकारियों ने मंत्रीजी के खिलाफ धरना दे दिया ।
- धुएँ के बादल उड़ाना –(भरी गप्पे मारना) – उसका कभी भी विश्वास मत करना वह तो धुएँ के बादल उड़ाने में बहुत माहिर
है ।
- धुन सवार होना –(काम पूरा करने की लगन होना) – उसको तो कविता बनाने की धुन सवार हो गई है जब तक ये काम पूरा नहीं होगा तब तक वह शांति से नहीं बैठेगा ।
- धूप में बाल सफेद करना –(अनुभवहीन होना) – तुम्हे इस उम्र में इन सब बातों के बारे में नहीं पता है तो तुमने धूप में अपने बाल सफेद किये हैं ।
- धुल फांकना –(मारा मारा फिरना) – रवि को पढने लिखने का काम तो है नहीं और धुल फांकता फिरता है ।
- धुल में मिलना –(बर्बाद होना) – अपने से ताकतवर से लड़ाई करोगे तो धुल में मिल जाओगे ।
- धोती ढीली होना –(डर जाना) – शेर को देखते ही लोगों की धोती ढीली हो गई ।
- धोबी का कुत्ता –(बेकार आदमी) – उस आदमी की मुझसे मत पूछो वह तो धोबी का कुत्ता है कोई काम ही नहीं करता ।
- धाक जमाना– (रॉब जमाना) – सुखदेव सब जगह अपनी धाक जमता फिरता है ।
- धरती पर पाँव न रखना –(अभिमानी होना) – उसका बेटा विदेश से आया है इस वजह से वो धरती पर पाँव ही नही रख रहा है ।
- धुआँ सा मुंह होना –(लज्जित होना) – जब वह फ़ैल हो गया तब वह धुआँ सा मुंह लेकर रह गया ।
न से शुरू होने वाले मुहावरे :
- नमक मिर्च लगाना –(बढ़ा-चढ़ाकर कहना) – चुगलखोर व्यक्ति हमेशा नमक मिर्च लगाकर बातें करते हैं ।
- नाक रगड़ना – (भूल स्वीकार करके क्षमा माँगना) – इन्सान को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे उसे दूसरों के सामने नाक रगडनी पड़े ।
- नौ दो ग्यारह होना–(भाग जाना) – पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गये ।
- नजर पर चढना –(पसंद आना) – रमेश की नजर मेरा पैन चढ़ गया इसलिए उसने मुझसे छीन लिया ।
- नाक कट जाना –(इज्जत जाना) – तुम्हारे चोरी करते पकड़े जाने की वजह से हमारे खानदान की तो नाक ही कट गई ।
- नाक का बाल होना –(प्रिय होना) – बीरबल बहुत चतुर थे इसीलिए वो अकबर की नाक के बाल हो गये ।
- नाकों चने चबवा देना –(बहुत परेशान करना) – आजकल बिजली विभाग वाले घरों पर छापा मारकर नाकों चने चबा देते हैं ।
- नाक भौं चढ़ाना –(नाराज होना) – गंदगी किसी को पसंद नहीं होती इसलिए सभी नाक भौं चढ़ाना शुरू कर देते हैं ।
- नाक में दम करना –(बहुत तंग करना) – स्कूल के बच्चों ने तो मेरी नाक में दम क्र दिया ।
- नानी याद आना –(होश उड़ना) – जब पुलिस ने चोर को पकड़ लिया तो चोर को नानी याद आ गई होगी ।
- नीचा दिखाना –(अपमानित करना) – वह बहुत बोलता था एक न एक दिन उसे नीचा तो देखना ही था ।
- नीला –पीला होना –(गुस्सा होना) – उसकी छोटी सी बात पर उसके पिताजी नील-पीले हो गये ।
- न इधर का न उधर का –(कहीं का न होना) – दोनों जगह बैर करोगे टी न इधर के रहोगे न उधर के ।
- नाच नचाना –(तंग करना) – वह उसे अपनी उँगलियों पर नाच नचाने लगा है ।
- नुक्ताचीनी करना –(दोष निकालना) – तुम हर बात में नुक्ताचीनी मत किया करो बहुत मुश्किल से खाना मिलता है ।
- निन्यानवे के फेर में पड़ना –(धन जुटाना) – तुम निन्यानवे के फेर में मत पड़ो जितना है उसी में खुश रहना सीखो ।
- नजर चुराना –(आँखें चुराना) – तुम मुझे कुछ नहीं बताते हो आजकल मुझसे नजर चुराने लगे हो ।
- नमक अदा करना –(फर्ज निभाना) – उसने उस घर का नमक खाया है अब नमक तो अदा करना ही पड़ेगा ।
- नकेल हाथ मेँ होना– (वश मेँ होना) – उसकी नकेल तो जादूगर के हाथ में है वो जैसा कहेगा उसको करना होगा ।
- नाक चोटी काटकर हाथ मेँ देना –(बुरा हल करना) – सुनीता ने बबिता की नाक चोटी काटकर हाथ में दे दी ।
- नाक पर मक्खी न बैठने देना –(साफ होना) – उसके यहाँ पर इतनी सफाई है की नाक पर मक्खी तक नहीं बैठ सकती ।
- नौ दिन चले ढाई कोस –(धीमी गति से कार्य करना) – तुम संजना से काम करने को मत कहो वह तो नौ दिन में ढाई कोस चलती है ।
- नशा उतरना –(घमंड उतरना) – शिक्षा ने उसे उसकी सच्चाई बताकर उसका नशा उतर दिया ।
- नदी नाव का संयोग –(इत्तिफाक से हुई मुलाकात) – इन दोनों का संयोग ऐसा मानो जैसे नदी और नाव का संयोग ।
- नसीब चमकना– (भाग्य चमकना) – जब से वह भगवान की भक्ति में लीन हो गया है तब से उसकी किस्मत चमक रही है ।
- नींद हराम होना –(न सोना) – इस काम को पूरा न कर पाने की वजह से मेरी तो नींद हराम हो गई है ।
- नेकी और पूंछ–पूंछ –(बिना कहे भलाई करना) – उसने मुझे बताया भी नहीं और नेकी और पूंछ -पूंछ कह क्र काम को पूरा कर दिया ।
प से शुरू होने वाले मुहावरे :
- पंचतत्व को प्राप्त करना –(मर जाना) – सुमन मरकर पंचत्व को प्राप्त हो गई ।
- पगड़ी उछालना –(लज्जित करना) – शादी के मंडप में शर्त पूरी न होने पर लडके के पिता ने लडकी के पिता की पगड़ी उछाल दी ।
- पगड़ी रखना –(मर्यादा की रक्षा करना) – आजकल की लडकियाँ पगड़ी रखना ही पसंद नहीं करती हैं ।
- पत्थर की लकीर– (स्थायी) – युद्धिष्ठिर की बात को पत्थर की लकीर माना जाता था ।
- पत्थर पर दूब जमना– (असंभव काम होना) – अश्व्थामा को मारना पत्थर पर दूब जमने के समान है ।
- पत्थर से सिर फोड़ना –(असंभव के लिए कोशिश करना) – पत्थर से सिर फोड़ने से कुछ प्राप्त नहीं होगा जो कुछ हो सकता है वो करो ।
- पहाड़ से टक्कर लेना –(अपने से बलवान से लड़ना) – तुम बलराम से लड़ाई करने के खाब मत देखो पहाड़ से टक्कर लेना आसान बात नहीं है ।
- पाँव उखड़ जाना –(हार जाना) – पाकिस्तानी सेना के पाँव जंग से उखड़ गये ।
- पाँव फूंक फूंक कर रखना –(सोचकर काम करना) – आज की सरकार पाँव फूक फूककर रखती है ।
- पजामे से बाहर होना –(आपे से बाहर होना) – वह सच बात सुनकर आपे से बाहर हो गया ।
- पानी की तरह पैसा बहाना– (अन्धाधुन्ध खर्च करना) – सीमा कुछ नहीं सोचती वह तो पानी की तरह पैसा बहती है ।
- पानी पानी होना –(बेइज्जत होना) – चोरी करते पकड़े जाने पर वह पानी पानी हो गई ।
- पानी में आग लगाना– (असंभव को संभव करना) – सुधा ने कहा की मैं पानी में आग लगा सकती हूँ ।
- पिल पड़ना –(पूरी जान से लगना) – वह जिस काम को कर्ता है उसके पिल पड़ गये ।
- पीठ ठोंकना –(शाबाशी देना) – जब शिवानी पास हो गई तो उसके अध्यापक ने उसकी पीठ ठोकी ।
- पीठ दिखाना –(भाग जाना) – दुर्योधन युद्ध में पीठ दिखाकर भाग गया ।
- पेट में चूहे दौड़ना –(जोरों की भूख लगना) – आज मुझे खाना न मिलने की वजह से मेरे पेट में चूहे दौड़ रहे हैं ।
- पौ बारह होना –(लाभ का अवसर मिलाना) – जैसे ही वह अपने आफिस आया तो उसके पौ बढ़ हो गये ।
- प्राण मुंह को आना –(बहुत दुःख होना) – उसकी हालत को देखकर मेरे तो प्राण मुंह को आ गये ।
- प्राणों से हाथ धोना –(म्रत्यु को प्राप्त होना) – अभिमन्यु ने चक्रविहू में अपने प्राणों से हाथ धो दिए ।
- प्राण हथेली में लेना –(मरने को तैयार होना) – भारतीय सैनिक अपने प्राणों को हथेली पर लेकर जंग लड़ते हैं ।
- प्राणों की बाजी लगाना –(बहुत साहस करना) – भारतीय सेना ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर युद्ध जीता था ।
- पोल खोलना –(राज प्रकट करना) – सब लोगों ने मिलकर सलमान की पोल खोल दी ।
- पसीना-पसीना होना –(थक जाना) – आज श्याम ने सारा दिन काम किया जिससे वह पसीना पसीना हो गया ।
- पहाड़ टूट पड़ना –(विपदा आना) – उसके इकलौते बेटे की मौत से उस पर तो दुखों का फाड़ टूट पड़ा ।
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना –(सब जगह से लाभ होना) – सरकार को गरीब की परवाह क्यूँ होगी उनकी तो पाँचों उँगलियाँ घी में होती है ।
- पानी फेर देना –(निराश कर देना) – मैंने इतनी मुश्किल से लोगों को तुम्हारी नौकरी के लिए राजी किया था लेकिन तुमने सारे किये कराये पर पानी फेर दिया ।
- पानी पी पीकर कोसना –(गलियां देते जाना) – मैंने उसे जरा सा कुछ कह क्या दिया वह तो मुझे पानी पी पीकर कोसने ही लगा ।
- पापड़ बेलना –(व्यथ जीवन बिताना) – सरकारी नौकरी पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते है ।
- पेट बाँधकर रहना –(भूखे रहना) – वह अपने बच्चों को खिलने के लिए खुद पेट बाँधकर रह रहा है ।
- पेट में दाढ़ी होना– (दिमाग से चतुर) – कुछ लोग सिर्फ सकल से भोले होते हैं लेकिन उनके पेट में दाढ़ी होती है ।
- पैरों तले जमीन खिसकना– (होश उड़ जाना) – जब उसे अपने बेटे की मौत का पता चला तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई ।
- पैरों में मेंहदी लगाकर बैठना –(जा न पाना) – जब उसने काम करने से मना कर दिया तो पिताजी ने उससे कहा की तुम्हारे पैरों में मेंहदी लगी है क्या ।
- पट्टी पढ़ाना –(बुरी सीख देना) – उर्मिला सब बच्चों को उल्टी पट्टी पढ़ती रहती है ।
- पाकेट गर्म करना –(रिश्वत देना) – आजकल लोग अफसरों की पाकेट गर्म करके अपना काम करवा लेते हैं ।
- पहलू बचाना –(कतराना) – जब मैंने उसे देख लिया तो वह पहलु बचाकर निकल दिया ।
- पते की कहना– (रहस्य की बात कहना) – एरेगोन ने तो जैसे मेरे पते की बात ख दी ।
- पानी का बुलबुला– (क्षणभंगुर वस्तु होना) – वह तो पानी का बुलबुला है न जाने कब फूट जाये ।
- पानी देना– (सींचना) – मैंने इस पेड़ को बहुत ही प्यार से पानी देकर बड़ा किया है ।
- पानी न माँगना– (तभी मर जाना)- वह तो ऐसे मर गया की किसी से पानी भी नहीं माँगा ।
- पानी पर नींव डालना– (अस्थिर वस्तु का आधार होना) – तुम लोग पानी पर नाव डालना बंद करो और अपने अपने घर जाओ ।
- पानी पीकर जाति पूंछना– (काम होने के बाद उसकी सभ्यता का निर्णय करना) – तुम लोग उसे नहीं जानते वह तो पानी पीकर जाति पूंछ लेती है ।
फ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- फंदे में पड़ना– (धोखा खाना) – झगड़ा किसी और का था लेकिन फंदे में वह पड़ गया ।
- फटेहाल होना –(बुरी हालत होना) – आजकल लोग गरीबी की वजह से फटेहाल हो गये है ।
- फूंक से पहाड़ उड़ाना– (कम शक्ति से बड़ा काम होना) – तुम फूंक से पहाड़ उड़ने की बात मत करो यह तुम्हारे बस की बात नहीं है ।
- फूटी आँखों न भाना– (अप्रिय होना) – सुप्रिया को अपना सौतेला बेटा फूटी आँख नहीं भाता है ।
- फेर में डालना– (मुश्किल में डालना) – उसने किसी एक का चुनाव करने की कहकर मुझे फेर में दाल दिया ।
- फूलकर कुप्पा होना– (खुशी से इतराना) – जब वह अपने बचपन के दोस्त से मिला तो वह फूलकर कुप्पा हो गया ।
- फट पड़ना– (एकदम से गुस्सा आना) – जगमोहन एकदम से गुस्से से फट पड़ा ।
- फूंक फूंक क्र कदम रखना– (सावधानी देखना) – आजकल के लोग फूंक फूंककर कदम रखते हैं ।
- फूलना-फलना-(धन और कुल होना) – एक माँ ने अपने बेटे से आशीर्वाद देते समय कहा की फूलो – फ्लो ।
- फफोले फोड़ना– (वैर होना) – उसकी मुझसे दुश्मनी है इसलिए मैं उसके हमेशा फफोले फोड़ता रहता हूँ ।
- फब्तियां कसना– (ताना मारना) – जब सिक्षा कक्षा में फेल हो गई तब उसके पिता ने उस पर खूब फब्तियां कसीं ।
- फूल झड़ना– (मीठा बोलना) – जब शशि बोलती हैतो ऐसा लगता है जैसे फूल झड़ रहे हो ।
ब से शुरू होने वालेमुहावरे :
- बगलें झाँकना– (बेइज्जत होकर चारों तरफ देखना ) – जब कर्जा न चुकाने की वजह से वह सब जगह बगलें झाँकने लगा ।
- बट्टा लगाना –(कलंक लगाना) – उसने अपनी परिवार की इज्जत पर बट्टा लगा दिया ।
- बरस पड़ना –(क्रोध से बातें सुनाना) – शिवानी मुझ पर बिना किसी बात के बरस पड़ी ।
- बाग बाग होना –(खूब खुश होना) – जब उसे अपने पास होने की बात का पता चला तो वह बाग बाग हो गया है ।
- बाजी ले जाना –(आगे निकलना) – मिल्खा सिंह ने दौड़ में बाजी ले ली ।
- बात चलाना –(शुरू करना) -आजकल तो मेरी शादी की बातें चल रही हैं ।
620.बात काटना -( बीच में बोलना) – छोटों को बड़ों की बात काटना उचित नहीं है ।
- बातों में आना –(धोखा खाना) – तुम लोग सोहन की बातों में आ जाते हो वह तो धोखेबाज है ।
- बाल बाँका न होना –(हानि न होना) – संजना के प्रेमी ने उससे कहा की वह उसका बाल भी बाँका नहीं होगा ।
- बाल की खाल निकलना– (बिना मतलब की बात करना) -बात की खाल निकलने से अच्छा अपने अपने काम में ध्यान दो ।
- बासी कढ़ी में उबाल आना– (बुढ़ापे में जवानी की आशा करना) – आजकल लोगों में बासी कढ़ी में उबाल आने की बातें होती हैं ।
- बीड़ा उठाना –(जिम्मेदारी लेना) – सूर्य पुत्र कर्ण ने अंग देश की प्रजा को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया था ।
- बुखार उतारना –(गुस्सा करना) – सोहन के पिता ने खा की मैं दो मिनट में तेरा बुखार उतार दूंगा ।
- बेडा पार लगाना –(मुसीबत से निकालना) – अब तो भगवान ही हमारा बेडा पर लगा सकते हैं ।
628.बे सिर पैर की बात करना – (बिन मतलब की बात करना) – तुम लोग बेसिर पैर की बातें करना छोड़ो और अपना अपना काम करो ।
- बेवक्त की शहनाई बजाना –(अवसर के खिलाफ काम करना) – वे लोग तो उल्टे हैं बेवक्त की शहनाई बजाते रहते हैं ।
- बोलती बंद करना –(बोलने नहीं देना) – मैंने गलत काम करने के लिए मना किया लेकिन वह नहीं माना तो मैंने उसकी बोलती बंद कर दी ।
- बौछार करना– (अधिक देना) – कन्यादान करते समय लडकी के पिता ने पैसे की बौछार कर दी ।
- बन्दर घुड़की –(बेकार धमकी देना) – तुम बन्दर घुड़की मत दिया करो तुम से कुछ नहीं होगा ।
- बखिया उधेड़ना –(राज खोलना) – 1921 में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों की बखिया उधेड़ दी ।
- बछिया का ताऊ– (मूर्ख) – वह तो बछिया का ताऊ है जिस टहनी पर बैठा है उसी को काट रहा है ।
- बड़े घर की हवा खाना –(जेल जाना) – सतवीर ने शराब का काम किया और फस गया तो उसे बड़े घर की हवा खानी पड़ी ।
- बल्लियों उछलना– (बहुत खुश होना) – क्रिकट में जितने पर भारत के खिलाडियों ने बल्लियाँ उछाल दी ।
- बाएँ हाथ का खेल –(आसान काम) – तुम लोग इसे बाएँ हाथ का खेल मत समझो यह बहुत मुश्किल काम है ।
- बाँछे खिल जाना– (बहुत खुश होना) – पवन को देखते ही उसके तो बाँछे खिल गये ।
- बाजार गर्म होना– (धंधा अच्छा चलना) – आजकल तो बाजार बहुत गर्म हो रहा है इसमें बहुत लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है ।
- बात का धनी होना –(वादे का पक्का होना) – कार्तिक तो बात का धनी है जो ख देता है पूरा करता है ।
- बिल्ली के गले में घंटी बंधना –(खुद को परेशानी में डालना) – जब लोग बिल्ली के गले में घंटी बाँधते रहते हैं ।
- 6 बेपेंदी का लोटा –(पक्ष बदलने वाला) – अनीता तो दोनों तरफ अपनी बातें सुनती है वह तो बेपेंदी के लोटे की तरह है ।
- बगुला भगत –(छलने वाला) – भरत की मत पूछो वह उपर से सीधा है लेकिन अंदर से बगुला भगत है ।
- बहती गंगा में हाथ धोना –(दूसरे के काम से लाभ उठाना) -जब वह अपना काम करवाने गया था तो मैंने भी उसका काम बनता देख अपना भी काम बना लिया यह तो बहती गंगा में हाथ धोने वाली बात है ।
भ से शुरू होने वाले मुहावरे :
- भंडा फूटना –(राज खुलना) -सब लोगों के सामने ही उसका भंडा फूट गया ।
- भानुमती का पिटारा –(अलग अलग चीजों का पात्र) – संग्रहालय को भानुमती का पिटारा माना जाता हैक्योंकि वहाँ पर सभी प्रकार की वस्तुएं मिल जाती हैं ।
- भार उठाना –(उत्तरदायित्व लेना) – वह अपनी बहन का भर उठाकर आजतक उसे पूरा कर रहा है ।
- भार उतारना– (ऋण से मुक्त होना) – उसने ऋण चूका के अपना भर उतार लिया ।
- भूत सवार होना –(बहुत क्रोध आना) – वह किसी की भी बात नहीं सुन रहा है उसके सिर पर तो बहुत सवार है ।
- भौंह चढ़ाना –(गुस्सा आना) – जब उसने विरोधी की बातें सुनी तो उसकी भौंह चढने लगीं ।
- भाड़ झोंकना –(समय बर्बाद करना) – उस पर भाड झोंकने के अलावा और कोई काम नहीं है ।
- भाड़े का टट्टू –(पैसे लेकर काम करने वाला) – पैसों से कितने भी भाड़े के टट्टू खरीदे जा सकते हैं ।
- भीगी बिल्ली बनना –(सहमना) – वह तो दूसरे के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है ।
654.भैंस के आगे बिन बजाना – (मूर्ख आदमी को उपदेश देना) – अनपढ़ों को पढ़ाना भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है ।
- भेड़ियाधसान होना –(देखा -देखी करना) – तुम लोग क्यूँ लोगों के घर जा जाकर भेड़ियाधसान हो रहे हो होना वही है जो किस्मत में लिखा है ।
- 6 भरी लगना –(असहय होना) – कमजोर व्यक्ति को जरा सा भर भी ज्यादा लगता है ।
- भनक पड़ना –(खबर लगना) – अगर लूं को हमारे बुरे कामों के बारे में भनक भी पड़ गई तो बहुत बुरा होगा ।
म से शुरू होने वाले मुहावरे :
- मक्खी की तरह निकाल देना –(किसी को काम से अलग कर देना) – जब लोगों को लगा की अब 6 व्यक्तियों की जरूरत नहीं है तो उसने उसे मक्खी की तरह निकाल क्र फेंक दिया ।
- मक्खी मारना –(निकम्मा होना) -वह तो बस मक्खी मरता फिरता है उसे कोई और काम आता ही नहीं ।
- मगज खाना –(परेशान करना) – उसने सवाल पूंछ पूंछ क्र मेरा तो मगज ही खा लिया ।
- मुट्ठी गर्म करना –रिश्वत देना -आजकल कोई भी काम बिना मुट्ठी गर्म किये नहीं होता ।
- मुँह में पानी भर आना –(जी ललचाना)- आइसक्रीम देखकर नीता के मुंह में पानी भर आया।
663.मजा किरकिरा होना – (रंग में भंग डलना) – जब पुलिस शराब खाने में आ गई तो शराबियों का मजा किरकिरा हो गया।
- मन की मन में रहना – (इच्छा अधूरी रहना) – उसके बेटे की शादी पर उसकी मन में मन रह गई।
- मन में लड्डू खाना –(व्यर्थ खुश होना) – जब उसे अपनी शादी का पता चला तो उसके मन में लड्डू फूटने लगे।
- मन मैला करना –(अप्रसन्न होना) – जब भी कोई शुभ काम होता है तो न जाने क्यूँ कमल का मन मैला हो जाता है ।
- मशाल लेकर ढूँढना –(अच्छे से ढूँढना) – विराट कोहली जैसा खिलाडी हमें मशाल लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा ।
- 6 माथे पर बल पड़ना –(चहरे पर गुस्सा होना) – कोई भी गलत बात को सुनकर माथे पर बल ले ही आएगा ।
- मारा मारा फिरना –(बुरी तरह घूमना) – जब अर्जुन की नौकरी चली गई तो वह मारा मारा फिरने लगा ।
- मिटटी के मोल बिकना –(सस्ता होना) – सदर बाजार में वस्तुएं मिटटी के मोल बिकती हैं ।
- मिटटी पलीद करना –(बुरी धस करना) – मेरे बने बनाए काम की तुमने मिटटी पलीद कर दी ।
- मुंह की खाना –(लज्जित होना) – दुर्योधन जब हार गया तो उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी ।
- मुंह काला करना –(बदनामी होना) – दुष्कर्मों की वजह से समाज ने लक्ष्मी का मुंह काला कर दिया ।
- मुंहतोड़ जवाब देना –(सबक सिखाना) – युद्ध में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था ।
- मुंहदेखी कहना –(तारीफ करना) – वह किसी की सच्चाई नहीं जनता बस मुंहदेखी कहता रहता है ।
- मुंहमांगी मुराद पाना –(मन चाहा मिलना) – मुंहमांगी मुराद पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है ।
- मुंह में पानी भर आना –(लालच आना) – जब लोग मरीज के सामने मसालेदार खाने की बात क्र रहे थे तो मरीज के मुंह में पानी भर आया ।
- मुंह में लगाम न होना –(ज्यादा बोलना) – बबिता के मुंह मेलागम नहीं है वह बहुत ज्यादा बोलती है और फिर रूकती भी नहीं है ।
- मुंह मोड़ना –(विमुख होना) – लोगों की बातों पर विश्वास करके उसने अपने सच्चे दोस्त से मुंह मोड़ लिया ।
- मुठ्ठी गरम करना –(घूस देना) – आजकल के ओफिसर बस अपनी मुठ्ठी गरम करने में लगे रहते हैं ।
- मैदान साफ होना– (बाधा न होना) – मैदान साफ होने की वजह से वे खेल आसानी से जीत गये ।
- मैदान मारना– (जीत जाना) – उसने प्र्त्योगिता में सभी राज्यों से मैदान मार लिया ।
- मौत का सिर पर खेलना– (मरने वाला) – रमेश के सिर पर मौत खेल रही है पता नहीं अगले दो पल में क्या हो जाये ।
- मेढकी को जुकाम होना– (अनहोनी होना) – पर्वत को उठाना मेंढकी को जुकाम होने के बराबर समझा जाता है ।
685.मक्खन लगाना – (चापलूसी करना) – मुन्सी मक्खन लगाकर मालिक सी अपनाकाम निकलवा लेता है ।
- मिटटी का माधो –(बिलकुल मूर्ख) – वह दुनिया को बिलकुल नहीं जानता वह तो मिटटी का माधो है ।
- मिटटी खराब करना –(बुरी हालत करना) – पहलवानी में लुट्टन ने शेर कहाँ की मिटटी खराब क्र दी ।
- मुंह खून लगना –(घूस लेने की आदत पड़ना) – अगर शेर के मुंह खून लग जाये तो वह खतरनाक हो जाता है ।
- मुंह छिपाना –(बेइज्जत होना) – कुकर्म करने की वजह से उसे अपना मुंह छिपाना पद रहा है ।
- मुंह रखना –(मान रखना) – रिश्तेदारों ने अपने लोगों की बात का मान रख लिया ।
- मुंह पर कालिख पोतना– (कलंक लगना) – झूठी बातों की वजह से निर्दोष लोगों के मुंह पर कालिख पुत गई ।
- मुंह उतरना– (दुखी होना) – शादी के टूटने की खबर से उसका मुंह उतर गया ।
- मुंह ताकना– (दूसरों पर निर्भर) – हमे कभी भी किसी का मुंह नहीं ताकना चाहए हमें स्वंय के पैरों पर खड़ा होना चाहिए ।
- मोहर लगा देना– (पुष्टि करना) – आजकल सब लोग बातों पर मोहर लगा दिया करते हैं ।
- मर मिटना– (नष्ट होना) – पहले लोग एक दूसरे के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे लेकिन आज एक दूसरे से बोलते भी नहीं हैं ।
- मांस नोचना– (परेशान करना) – उसने पीछे डोल डोल क्र मेरा तो मास ही नोच लिया है ।
- मोम हो जाना –(नर्म बनना) -लोगों को आजकल कोई नहीं समझ सकता कभी बहुत गुस्सा करते हैं और कभी मोम बन जाते हैं ।
- मन फट जाना– (फीका पड़ना) – लोगों को साथ देखकर कुछ लोगों के मन फट जाते हैं ।
- मीन मेख करना– (बेकार तर्क) – तुम लोग मीन मेख करना बंद करो और जल्द से जल्द काम को पूरा करो ।
- मोटा आसामी– (अमीर आदमी) – सुनार तो आज के समय में मोटे आसामी हो गये हैं क्योंकि आजकल सब सोना बहुत खरीदते हैं ।
- मुठभेड़ होना– (मुकाबला होना) – जब लुट्टन की शेर खां से मुठभेड़ हुई थी तो शेर खां को मुंह की खानी पड़ी ।
य से शुरू होने वाले मुहावरे :
- यश कमाना– (नाम कमाना) – लोगों को यश कमाने में बहुत साल लग जाते हैं लेकिन गवाने में एक पल नहीं लगता ।
- 7 यश मिलना– (सम्मान मिलना) – युधिष्ठिर को उनकी बुद्धि की वजह से यश मिली थी ।
- यश गाना– (तारीफ करना) – गुरु द्रोणाचार्य जी अर्जुन का यश गाते रहते है ।
- यश मानना– (कृतज्ञ होना) – पंचाल ने यज्ञ करते समय यश मानने की गलती की थी ।
- युग-युग –(दिनों तक) – महाभारत का युद्ध युग युग तक चला था ।
- युग धर्म– (समय से चलना) – युग धर्म ही इस प्रकृति की पहचान मानी जाती है ।
- युगांतर उपस्थित करना– (नई प्रथा चलाना) – श्रवण ने मोहनजोदड़ो में युगांतर उपस्थित किया था ।
र से शुरू होने वाले मुहावरे :
- रंग उखड़ना– (मजा बिगड़ना) – दुर्घटना की वजह से सारे रंग उखड़ गये हैं ।
- रंग उड़ना– (हैरान होना) – अपनी माँ की मौत की खबर से उसके चहरे के रंग उड़ गये ।
- रंग जमना– (तारीफ बढ़ाना) – मेरी शादी में मेरे दोस्त ने रंग जमा दिया ।
- रंग में भंग पड़ना– (मजे में विघ्न आना) – दुर्घटना से होली के रंगों में भंग पड़ गया ।
- रंग लाना– (असर दिखाना) – कुछ ही वर्षों में लोगों के बीच महात्मा गाँधी ने रंग ला दिया था ।
- राई का पहाड़ बनाना– (बढ़ा कर कहना) – अनीता को राई का पहाड़ बनाना बहुत अच्छी तरह से आता है ।
- रोंगटे खड़े होना– (डरना) – रात को आवाजें सुनकर उसके रोंगटे खड़े हो गये ।
- रफू चक्कर होना– (भाग जाना) – पुलिस को देखते ही चोर रफू चक्कर हो गया ।
- रात दिन एक करना –(मेहनत करना) – लडकी का विवाह करने के लिए उसने रात दिन एक कर दिया ।
- रंग में भंग पड़ना– बाधा पड़ना – सीमा के विवाह में वर्षा आ जाने के कारण रंग में भंग पड़ गये ।
- रोटी के लाले पड़ना– (खाने को तरसना) – अन्न जल उठने से उसको रोटी के लाले पड़ गये हैं ।
- रोड़ा अटकना– (बाधा पड़ना) – अच्छे काम में हमेशा रोड़ा अटकता है ।
- रौनक जाना– (चमक खत्म होना) – बच्चों के चले जाने से घर की रौनक भी चली जाती है ।
722.रंगा सियार होना – (धोखा देने वाला) – कुछ लोगों का कोई भरोसा नहीं होता वे रंगा सियार जैसे होते हैं ।
- रोम रोम खिलना– (बहुत खुश होना) – अपने परिवार से फिर मिलकर उसका तो रोम रोम खिल उठा ।
- रसातल चला जाना– (बिलकुल खत्म होना) – आग लगने से लाक्षाग्रह का रसातल चला जाता है ।
- रीढ़ टूटना– (आधार खत्म होना) – बेटे के मरने से उसका तो मानो रीढ़ ही टूट गया हो ।
- रोटियां तोडना– (बैठकर खाना) – वह बेरोजगार है उसे रोटियां तोड़ने के सिवा कोई और काम नहीं है ।
- रोना-रोना– (दुःख सुनाना) – जब कभी भी हम दूसरों के घर जाते हैं तो उनका रोना रोना ही लगा रहता है
ल से शुरू होने वाले मुहावरे :
- लाल पीला होना– क्रोधित होना – अधिक लाल पीला होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
- लोहे के चने चबाना– अत्यधिक कठिन कार्य – पढना आसन नहीं वरन लोहे के चने चबाना है ।
- लंबी तानना– (सोना) – कुंभकर्ण लम्बी तान कर सोया कर्ता था उसे जगाना बहुत मुश्किल हो जाता था ।
- लकीर का फकीर होना– (अन्धविश्वासी होना) – जो भगवान की जगह ढोंगियों पर विश्वास करता है वह लकीर का फकीर हो जाता है ।
- लपेट में आ जाना– (घिरना) – पांडवों को मारने वाले आग की लपेट में आ गये थे ।
733.लंबी चौड़ी हाँकना – (डींगें हाँकना) – बात तो छोटी थी लेकिन कुशल ने उसे लम्बी चौड़ी हंकनी शुरू कर दी ।
- लल्लो चप्पो करना– (खुशामद करना) – कभी भी बच्चों के पीछे लल्लो चप्पो नहीं करना चाहिए वे बिगड़ जाते हैं ।
- लड़ाई में काम आना – (लड़ते हुए मरना) – बहुत से सैनिक युद्ध में काम आये लेकिन फिर भी युद्ध को जीता नहीं जा सका ।
- लहू का प्यासा होना– (मरने पर उतरना) – वह तो लहू का प्यासा हो गया है किसी भी तरह से शांत नहीं हो रहा है ।
- लुटिया डुबोना– (नष्ट करना) – पवन ने बने बनये काम की लुटिया डुबो दी ।
- लोहा मानना– (हारना) – महात्मा गाँधी ने विदेशियों से लोहा मनवा लिया था ।
- लोहा नहीं मानना– (हार न मानना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना से अभी तक लोहा नही माना है ।
- लेने के देने पड़ना– (नुकसान होना) – पिताजी ने काम शुरू किया लेकिन काम में लेने के देने पड़ गये ।
- लंगोटी में फाक खेलना– (कम साधन होते हुए भी विलासी होना) – घर में वस्तु न होते हुए भी लंगोटी में फाक खेलने से कोई फायदा नहीं है ।
- लाख से लाख होना– (सब कुछ नष्ट होना) – लाक्षाग्रह में आग लगने की वजह से सब लाख से लाख हो गया था ।
- लाले पड़ना –(मुहताज होना) – उसके लिए दाने दाने के लाले पड़ रहे है वह पता नहीं अपना पेट कैसे भरता होगा ।
- लंगोटिया यार– (बचपन का दोस्त) – स्याम और घनस्याम दोनों लंगोटिया यार हैं एक दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं ।
- लहू होना– (मुग्ध होना) – वह तो हर किसी की बातों पर लहू हो जाता है ।
- लग्गी से घास डालना– (दूसरों पर गेरना) – जब लोगों ने सुधा को नशा करते देखा तो उसने लग्गी से घास डालना शुरू कर दिया ।
- लट्टू होना– (मोहित होना) – वह उसके रूप को देखकर उस पर लट्टू हो गया ।
- ललाट में लिखा होना– (भाग्य में होना) – जो कुछ हुआ वो हमारी ललाट में लिखा हुआ था अब रोने से कोई फायदा नहीं ।
- लातों के भूत बातों से नहीं मानते– (शरारती समझाने से नहीं समझते) – आजकल के बच्चे तो इस तरह के हैं की लातों के भूत बातों से नहीं मानते ।
- लहू पसीना एक करना– (बहुत मेहनत करना) – अपने बेटे को पढ़ाने के लिए उसने लहू पसीना एक कर दिया था ।
व् से शुरू होने वाले मुहावरे :
- वक्त पर काम आना– (कष्ट में साथ देना) – जो लोग वक्त पर काम आते हैं वही सच्चे मित्र होते हैं ।
- वचन देना –(वादा करना) – दशरथ ने कैकयी से वादा किया था कि तुम मुझसे कोई भी तीन वचन मांग सकती हो ।
- वार खाली जाना –(योजना असफल होना) – जब दुर्योधन का वार खली चला गया तो वह बहुत ही दुखी हो गया था ।
- वीरगति को प्राप्त होना– (युद्ध में मरना) – युद्ध में कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे ।
- वचन हारना– (जबान हारना) – कुछ लोग झूठा वचन देते हैं लेकिन वचन बहुत जल्दी हार जाते हैं ।
- विष उगलना– (कडवी बातें करना) – सुमन बातें नहीं करती वह तो विष उगलती है ।
स से शुरू होने वाले मुहावरे :
- सनक सवार होना –(धुन लगना) -उसे तो पुलिस बनने की सनक सवार हो गई है ।
- सन्नाटे में आना–(बिलकुल शांत हो जाना) – जब कक्षा में साँप आ गया तो आवाजें सन्नाटे में बदल गयीं ।
- सन रह जाना–(सदमा लगना) – जब बच्चों को उनके सहपाठी की मौत का पता लगा तो बच्चे सन्न रह गये ।
- सबको एक डंडे से हाँकना– (सबको एक जैसा समझना) – सबको एक डंडे से हाँकना तो सुषमा कीआदत है वह लोगों को पहचानती नहीं है ।
- सब्जबाग दिखाना– (झूठा भरोसा देना) – एक धोखेबाज ने सब्जबाग दिखाकर मुझे लुट लिया ।
- साँप छुछुदर की दशा– (सोच में डालना) – हम लोगों ने सिनेमा जाने का निर्णय लिया था लेकिन पिताजी ने स्कूल जाने की कहकर उसे साँप छुछुदर की दशा में डाल दिया ।
- सिट्टी पिट्टी गुल होना– (होश उड़ जाना) – गलत काम करने वाले पुलिस को देखते ही उनकी सिट्टी पिट्टी गुल हो जाती है ।
764.सिर आँखों पर रखना – (सम्मान करना) – मेहमान भगवान होता है इसलिए उन्हें सिर आँखों पर रखा जाता है ।
- सिर उठाना– (विरुद्ध होना) – तुम राजा के हर फैसले पर सिर मत उठाया करो ।
- सिर के बल जाना– (शन्ति से पास जाना) – तुम कितना गुस्सा करते हो उसे देखो वह तो सिर के बल सबके पास जाता है ।
- सिर पर खून चढना– (बहुत क्रोधित होना) – कोई कान्हा से बात नहीं करेगा उसके सिर पर खून सवार है ।
- सिर पर कफन बांधना– (मरने को तैयार रहना) – भरिय सैनिक सिर पर कफन बांध कर निकलते हैं ।
- सीधी ऊँगली से घी न निकलना– (शन्ति से काम न बनना) – लोगों का मानना है की जब घ सधी ऊँगली से न निकले तो ऊँगली टेढ़ी करने में ही भलाई है ।
- सीधे मुंह बात न करना– (घमंड से बात करना) -जब से उन लोगों के पास दौलत आई है वे लोग किसी से सीधे मुंह बात ही नहीं करते हैं ।
- सीनाजोरी करना– (बल देना) – एक तो चोर ने चोरी की ऊपर से हम से सीनाजोरी और क्र रहा है ।
- सूरज को दीपक दिखाना– (गुणवान को उपदेश देना) – तुम उसे सिख मत दिया करो वह तो सूरज को भी दिया दिखा सकता है ।
- सर्द हो जाना– (डरना) -जब उसने दुर्घटना को होते हुए अपनी आँखों से देखा तो वह सर्द हो गया ।
- समझ पर पत्थर पड़ना– (अक्ल नष्ट होना) – जब वे लोग तुम्हे कोड़े मार रहे थे तब तुम्हारी अक्ल पर पत्थर पड़ गये थे क्या ?
- सिक्का जमाना– (प्रभाव जमाना) – राजा के लोग पहले अपना सिक्का जमाते हैं फिर लोगों के साथ दुष्टता करते हैं ।
776. स्व सोलह आने सही – (पूरी तरह ठीक) – राजा बहुत ही कायर होते हैं यह बात स्व सोलह आने सच है ।
- सिर पर आ जाना– (पास आना) – मुझे पता ही नही चला कि वह मेरे सिर पर आ खड़ा हुआ ।
- सिर खुजलाना –(बहलाना) – वह तो हमेशा से ही बच्चों का सिर खुजलाती आई है ।
- सिर धुनना–(अफ़सोस करना) – जब तुमसे गलती हो जाएगी तब सिर धुनने से भी कोई फायदा नहीं होगा ।
- सर गंजा कर देना –(बहुत पीटना) – पुलिस ऑफिसर ने गुंडों को पीट पीटकर उनका सिर गंजा कर दिया ।
- सफेद झूट –(बिलकुल झूट) – सुनीता तो सच कभी बोलती ही नहीं है वह तो सफेद झूंठ बोलती है ।
- सितारा चमकना –(भाग्य जागना) – जब से वह भगवान का ध्यान लगाने लगा है उसका तो सितारा ही चमकने लगा है ।
- सात पांच करना –(आगे पीछे करना) – सुनीता लोगों के बीच सात पांच करती रहती है ।
- सुबह का चिराग होना–(अंत पर आना) – जब लोगों की मौत आने वाली होती है तब उन्हें सुबह का चिराग होने का आभास होता है ।
- सैंकड़ों घड़े पानी पड़ना –(बेइज्जत होना) – जब उसके भाई ने उसे घर से निकाल दिया तो सैंकड़ों घड़े पानी पड़ गये ।
- सब धान बाईस पसेरी–(सबसे एक जैसा व्यवहार करना) – रेखा को तो देखो वह तो सब धान बाईस पसेरी हो गई है ।
- साँप को दूध पिलाना –(बुरे की रक्षा करना) – जब साँप को दूध पिलाओगे तो किसी न किसी दिन मारे जाओगे ।
- साँप सूंघ जाना–(अचानक शांति होना) – महामारी की खबर से सारे गाँव को साँप सूंघ गया ।
- सात घाट का पानी पीना –(अनुभवी होना) – तुम उससे जीत नहीं सकते उसने पुरे सात घाट का पानी पिया है ।
- सिंदूर चढ़ाना –(विवाह करना) – माँ बाप ने अपनी लडकी को बालिकहोने से पहले ही सिंदूर चढ़ा दिया ।
- सिर मुंडाते ओले पड़ना–(काम होने पर बाधा आना) – काम अभी शुरू भी नहीं हुआ था और मुश्किले आने लगीं ऐसा लगता है जैसे सिर मुंडाते ही ओले पड़ने लगे हों ।
- सिर से बला टलना –(मुसीबत जाना) – जब लोगों को लगा कि अब सारे मेहमान जाने वाले हैं तो उन्हें लगा की उनके सिर से बला तल गई ।
- सिर पर मौत खेलना –(मौत आना) – जब लोगों के सिर पर मौत आती है तो वे किसी की नहीं सुनते हैं ।
- सिर धड की बजी लगाना –(मरने से न डरना) – पहले जमाने के लोग सिर धड की बाजी लगाया करते थे ।
- सिर ओखली में देना–(मुसीबत में स्वंय पड़ना) – हम क्या कर सकते हैं जब उसे खुद ही सिर को ओखली में डालने की आदत हो गई हैं ।
- सिर से पानी गुजरना –(सहनशीलता खत्म होना) – उसके दोस्त ने उसका बहुत मजाक उड़ाया लेकिन जब पानी सिर से गुजर गया तो उससे चुप नहीं रहा गया ।
- सिर पर पाँव रखकर भागना –(बहुत तेज भागना) -पाकिस्तानी सैनिक युद्ध से सिर पर पाँव रखकर भागे थे ।
- सींग काटकर बिछोड़े में मिलना–(बूढ़े होकर बच्चों जैसा काम करना) – उन लोगों को तो देखो सींग काटकर बिछोड़े में मिलने की बात कर रहे हैं ।
- सूखे धान पर पानी पड़ना –(हालत अच्छी होना) – पहले वे लोग क्या थे लेकिन अब तो ऐसा लगता है जैसे सूखे धान पर पानी पड़ गया हो ।
- सोने की चिड़िया हाथ से निकलना–(लाभ न मिलना) – जब शिकारी के हाथ से शिकार निकल गया तो उसे लगा जैसे सोने की चिड़िया हाथ से निकल गई हो ।
- सोने पर सुहागा होना–(लाभ ही लाभ होना) – हमे वैसे तो नौकरी मिल ही रही थी लेकिन खाली समय में दूसरा काम मिलना तो सोने पर सुहागा है ।
- सौ सुनार की एक लुहार की –(अनेक कष्टों पर एक सुख भारी होना) – अमीर के सौ कष्टों के बदले गरीब का एक कष्ट ही भारी पड़ता है ।
- सावन हरे न भादो सूखे –(हमेशा एक सी व्यवस्था न रहना) – कभी भी सावन हरे न भादो सूखे की अवस्था नहीं होती है ।
श, ष , श्र से शुरू होने वाले मुहावरे :
- शहद लगाकर चाटना –(व्यर्थ चीज को बचाना) – स्याम तुम शहद लगाकर चटना बंद करो और जीवन में आने वाले कष्टों पर ध्यान दो ।
- शान में बट्टा लगाना –(इज्जत कम होना) – छोटी नौकरी करने से तुम्हारी शान में बट्टा नहीं लग जायेगा ।
- शामत सवार होना–(संकट आना) – पिताजी तुम्हारी सारी शरारतें जान चुके हैं अब तुम्हारी सामत सवार हुई है ।
- शेखी बघारना –(डींगें मारना) – तुम लोग व्यर्थ शेखी बघारना बंद करो और अपने काम पर ध्यान दो ।
- शर्म से गढ़ जाना–(बहुत लज्जित होना) – जब वह कर्ज नहीं चूका पाया तो शर्म से गढ़ गया ।
- शर्म से पानी पानी होना –(बहुत लजाना) – जब लडकी की शादी की बातें हो रही थीं तब लडकी शर्म से पानी पानी हो गई ।
- शैतान की आंत–(बड़ी बातें) – अगर तुम रोहन के पेस बैठोगे तो तुम्हे शैतान की आंतें सुनने को मिलेंगी ।
- शैतान की खाला –(झगड़ालू औरत) – बबिता से कोई भी नहीं जीत सकता है वह तो शैतान की खाला है ।
- शिकार हाथ लगना–(असामी मिलना) – जब शिकारी को कोई शिकार हाथ लग जाता है तो उसकी तुलना वह खजाने से करता है ।
- शैतान के कान कतरना–(चालाक होना) – तुम उसकी तुलना नहीं कर सकते हो वह तो शैतान के भी कान कतर सकता है ।
- षटराग अलापना –(रोना धोना) – जब उसके घर कोई भी नुकसान हो जाता है तो लोग षटराग अलापते रहते हैं ।
- श्री गणेश करना –(काम की शुरुआत करना) – जब भी लोग कोई शुभ काम शुरू करने वाले होते हैं तब वो कहते हैं की चलो श्री गणेश करते है ।
816.ऋण चुकाना – (कर्ज उतारना) – उसने अपना ऋण चूका कर राजा से अपना पीछा छुड़ा लिया ।
ह से शुरू होने वाले मुहावरे :
- हवा से बातें करना–(तेज दौड़ना) – मिल्खासिंह तो हवा से बातें किया करते थे लेकिन आज के लोग जरा सा काम करने से ही थक जाते हैं ।
- हवा पीकर रहना–(बिना खाने के रहना) – वह किसान अपने बच्चों को खाना देकर खुद हवा पीकर रह जाता है ।
- हक्का बक्का रह जाना –(हैरान हो जाना) – मास्टरजी की मौत की खबर सुनकर सब लोग हक्के बक्के रह गये ।
- हँसी उड़ाना –(मजाक करना) – जमुना की गरीबी पर उसकी कक्षा की लडकियाँ उसकी हँसी उड़ाती है ।
- हाथ धोकर पीछे पड़ जाना –(किसी काम में लग जाना) – वह तो नौकरी पाने के लिए मेरे पीछे हाथ धोकर पीछे पड़ गया है ।
- हाथ तंग होना –(गरीब होना) – जब बेटे ने पढाई के लिए पैसे मांगे तो माँ ने नहीं दिए क्योंकि उनका हाथ तंग था ।
- हथियार डाल देना –(हर मान लेना) – महात्मा गाँधी जी की बातें सुनकर भारतीय गुंडों ने हथियार डाल दिए थे ।
- हाँ में हाँ मिलाना –(खुशामद करना) – मेहमान को भगवान माना जाता है इसलिए लोग उनकी हाँ में हाँ मिलते रहते है ।
- होश उड़ जाना –(डर जाना) – भूत को देखते ही उसके तो होश ही उड़ गये ।
- हौसला पस्त होना– (उत्साह खत्म होना) – पाकिस्तान को हारता देख पाकिस्तानी लोगों के हौंसले पस्त हो गये ।
- हाथ पैर मारना–(कोशिश करना) – उसने बहुत हाथ पैर मारे लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी ।
- हाथ खाली होना –(गरीब होना) – दान दे दे कर अब तो राजा के हाथ खली हो जाते हैं लेकिन लोगों को संतुष्टि नहीं मिलती ।
- हाथ पे हाथ धरकर बैठना– (जिसे काम न हो) – सोमू तो हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाएगा लेकिन उनका क्या जो लोग काम करते हैं ।
- हाथों के तोते उड़ना –(हैरान होना) – पैसों को न मिला देखकर उसके तो हाथों के तोते उड़ गये ।
- हाथ मलते रह जाना –(पछतावा होना) – जब लोग तुम से दूर हो जाएंगे तब तुम हाथ मलते रह जाओगे ।
- हवाई किले बनाना – (कल्पना में उड़ना) – मेहनत करने वाले जीवन में सफल होते हैं , हवाई किले बनाने वाले नहीं ।
833. हाथ पाँव फूलना –(घबरा जाना)- डाकुओं को देखकर आशीष के हाथ पाँव फूल गये ।