मेरा प्रकृति प्रेम

कवि परिचय – 

30 सितम्बर सन् 1895 को छत्तीसगढ़, बिलासपुर के एक छोटे से गाँव बालपुर में जन्मे पं० मुकुटधर पाण्डेय अपने आठ भाईयों में सबसे छोटे थे । इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई । इनके पिता पं.चिंतामणी पाण्डेय संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे और भाईयों में पं० लोचन प्रसाद पाण्डेय जैसे हिन्दी के ख्यात साहित्यकार थे । पने अग्रजों के स्नेह सानिघ्य में 12 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने लिखना शुरू किया।बाल्‍यकाल में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर बालक पं०मुकुटधर पाण्डेय के मन में गहरा प्रभाव पडा किन्तु वे अपनी सृजनशीलता से विमुख नहीं हुए । सन् 1909 में 14 वर्ष की उम्र में उनकी पहली कविता आगरा से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘स्वदेश बांधव में प्रकाशित हुई एवं सन् 1919 में उनका पहला कविता संग्रह ‘पूजा के फूल’ प्रकाशित हुआ । अबाध गति से देश के सभी प्रमुख पत्रिकाओं में लगातार लिखते हुए पं० मुकुटधर पाण्डेय ने हिन्दी पद्य के साथ-साथ हिन्दी गद्य के विकास में भी अपना अहम योग दिया ।

कविता का सार –

इस कविता में कवि ने प्रकृति के सुंदर व मनोहारी रूप का सजीव वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि हरे-भरे और नए-नए वृक्षों के मनोहारी दृश्य,छोटे-छोटे झरने,विशाल वृक्षों से लदे पर्वत,कमलों से भरे तालाब व सुन्दर पक्षियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि संसार में इससे सुंदर दृश्य और कोई नहीं है, संसार के बाकी सारे दृश्य इस सुंदर दृश्य के आगे फीके लगते हैं।

हरित पल्लवित नववृक्षों के दृश्य मनोहर

होते मुझको विश्व बीच हैं जैसे सुखकर

सुखकर वैसे अन्य दृश्य होते न कभी हैं

उनके आगे तुच्छ परम वे मुझे सभी हैं ।

  • हरित – हरे-हरे
  • नववृक्ष – नए पेड़
  • पल्लवित – लहलहाते हुए
  • तुच्छ – छोटे , निम्न
  • मनोहर- मनमोहक
  • विश्व – दुनिया,जगत,संसार
  • सुखकर -सुख देने वाले
  • परम – उच्चतम, महान, श्रेष्ठ

अर्थ – हरे-भरे और नए-नए वृक्षों के मनोहारी दृश्य कोदेखकर ऐसा प्रतीत होता है कि संसार में इससे सुंदर दृश्य और कोई नहीं है, संसारके बाकी सारे दृश्य इस सुंदर दृश्य के आगे फीके लगते हैं।

छोटे, छोटे झरने जो बहते सुखदाई

जिनकी अद्भुत  शोभा सुखमय होती भाई

पथरीले पर्वत विशाल वृक्षों से सज्जित

बड़े-बड़े बागों को जो करते हैं लज्जित।

  • सुखदाई – सुख देने वाला
  • अद्भुत – निराला
  •  शोभा – सौंदर्य, सुंदरता
  • सुखमय – सुख से युक्त ,आरामदेह
  • पथरीले – कंकड़ों-पत्थरों से युक्त
  • सज्जित – सजा हुआ, अलंकृत,विभूषित
  • बागों – उद्यान, उपवन,बगीचा
  • लज्जित – शर्मिंदा

अर्थ कल-कल बहते झरनों को देख कर मन को एकअद्भुत सुख मिल रहा है। बड़े-बड़े वृक्षों से लदे हुए विशाल पहाड़ बड़े-बड़े बागों को फीका कर रहे हैं।

लता विटप की ओट जहाँ गाते हैं दविजगण

शुक, मैना हारील जहाँ करते हैं विचरण

ऐसे सुंदर दृश्य देख सुख होता जैसा

और वस्तुओं से न कभी होता सुख वैसा।

  • लता – बेल
  • विटप – पेड़ या लता की नई शाखा
  • ओट – रोक जिसके पीछे कोई छिप सके
  • दविजगण – पक्षी आदि
  • विचरण – घूमना ,फिरना ,भ्रमण

अर्थ –पेड़ों की लताओं और तनों के पीछे छिप कर बैठे हुए पक्षी मधुर स्वर में गीत गा रहे हैं। चारों तरफ तोता-मैना आदि पक्षी इधर-उधर घूम रहे हैं और ऐसे सुंदर दृश्य को देखकर जो सुख मिलता है वैसा सुख सांसारिक वस्तुओं को देखकर नहीं मिलता।

छोटे-छोटे ताल पद्म से पूरित सुंदर

बड़े-बड़े मैदान दूब छाई श्यामलतर

भाँति-भाँति की लता वल्लरी हैं जो सारी

ये सब मुझको सदा हृदय से लगती न्यारी

  • ताल – तालाब
  • पद्म – कमल
  • पूरित – भरे
  • दूब – घास
  • श्यामलतर – हरी घास से सुसज्जित
  • भाँति-भाँति – तरह-तरह
  • वल्लरी – लता, बेल
  • न्यारी – अनोखी , अद्भुत

अर्थ – कमल से भरे छोटे-छोटे तालाब बड़े सुंदर प्रतीत हो रहे हैं और उनके चारों तरफ हरी-हरी घास से सुसज्जित मैदान अद्भुत मनोहारी छटा बिखेर रहे हैं। वृक्षों की लताएँ हवा में लहरा रही हैं, जो बड़ी प्यारी लग रही हैं।

 

प्रश्न 1 बड़े बाग किनसे लज्जित होते जान पड़ते हैं ?
उत्तर -बड़े बाग झरने,पथरीले पर्वत व विशाल वृक्षों से लज्जित होते जान पड़ते हैं ।
प्रश्न 2 लता और वृक्ष की ओट लेकर कौन गाते हैं ?
उत्तर -लता और वृक्ष की ओट लेकर पक्षी गाते हैं ।
प्रश्न 3 कवि के हरदय को क्या न्यारे लगते हैं ?
उत्तर – कवि के ह्रदय को लता वल्लरी, मैदानी दूब व कमलों से भरे तालाब न्यारे
लगते हैं ।
प्रश्न 4 इस कविता में किसको लक्ष्य किया गया है ?
उत्तर – इस कविता में प्रकृति को लक्ष्य किया गया है।
अधिकतम शब्दों में –
प्रश्न 1 इस कविता में प्रकृति का कैसा वर्णन किया गया है ?
उत्तर -इस कविता में कवि ने प्रकृति के सुंदर व मनोहारी रूप का सजीव वर्णन
किया है। कवि ने बताया है कि हरे-भरे और नए-नए वृक्षों के मनोहारी दृश्य,छोटे-
छोटे झरने,विशाल वृक्षों से लदे पर्वत,कमलों से भरे तालाब व सुन्दर पक्षियों को
देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि संसार में इससे सुंदर दृश्य और कोई नहीं है, संसार
के बाकी सारे दृश्य इस सुंदर दृश्य के आगे फीके लगते हैं।

हरित पल्लवित नववृक्षों के दृश्य मनोहर
होते मुझको विश्व बीच हैं जैसे सुखकर

सुखकर वैसे अन्य दृश्य होते न कभी हैं।
उनके आगे तुच्छ परम वे मुझे सभी हैं।

1 नववृक्षों को देखकर कवि को क्या अनुभूति होती है ?
2 अन्य सुखों के प्रति कवि का क्या दृष्टिकोण है ?
3 ‘हरित’ और ‘तुच्छ का अर्थ लिखिए ?

व्याकरण प्रश्न
प्रश्न- 1 दिए गए शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए
|
विश्व-लोक, जगत, संसार, दुनिया
पर्वत – अचल, नग, धराधर, भूभृत
वृक्ष-विटप, पादप, दरख़्त, तरु
लता-वर्लरी, लतिका, वल्ली, बेल
ताल-सरोवर, तड़ाग, सर, पुष्कर
पदम-कमल, पंकज, नलिन, राजीव

 

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मेरे विचार……. दीपक की लौ आकार में भले ही छोटी हो, लेकिन उसकी चमक और रोशनी दूर तक जाती ही है। एक अच्छा शिक्षक वही है जिसके पास पूछने आने के लिए छात्र उसी प्रकार तत्पर रहें जिस प्रकार माँ की गोद में जाने के लिए रहते हैं। मेरे विचार में अध्यापक अपनी कक्षा रूपी प्रयोगशाला का स्वयं वैज्ञानिक होता है जो अपने छात्रों को शिक्षित करने के लिए नव नव प्रयोग करता है। आपका दृष्टिकोण व्यापक है आपके प्रयास सार्थक हैं जो अन्य अध्यापकों को भी प्रेरित कर सकते हैं… संयोग से कुछ ऐसी कार्ययोजनाओं में प्रतिभाग करने का मौका मिला जहाँ भाषा शिक्षण के नवीन तरीकों पर समझ बनी। इस दौरान कुछ नए साथियों से भी मिलना हुआ। उनसे भी भाषा की नई शिक्षण विधियों पर लगातार संवाद होता रहा। साहित्य में रुचि होने के कारण हमने अब शिक्षा से सम्‍बन्धित साहित्य पढ़ना शुरू किया। कोई बच्चा बहुत से लोकप्रिय तरीके से सीखता है तो कोई बच्चा अपने विशिष्ट तरीके से किसी विषय को ग्रहण करता है और अपने तरीके से उस पर अपनी समझ का निर्माण करता है। इसी सन्‍दर्भ में बच्चों के मनोविज्ञान को समझने की जरूरत है। मनोविज्ञान को मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों और व्यवहार के वैज्ञानिक अध्ययन के रूप में देखा जाता है। इसी नजरिये से शिक्षा मनोविज्ञान को भी क्लासरूम के व्यावहारिक परिदृश्य के सन्‍दर्भ में देखने की आवश्यकता है। यहाँ गौर करने वाली बात है, “स्कूल में बच्चों को पढ़ाते समय केवल कुछ बच्चों पर ध्यान देने से हम बच्चों का वास्तविक आकलन नहीं कर पाते कि वे क्या सीख रहे हैं? उनको किसी बात को समझने में कहाँ दिक्कत हो रही है? किस बच्चे को किस तरह की मदद की जरूरत है। किस बच्चे की क्या खूबी है। किस बच्चे की प्रगति सही दिशा में हो रही है। कौन सा बच्चा लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है और उसे आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र रूप से पढ़ने और काम करने के ज़्यादा मौके देने की जरूरत है।” एक शिक्षक को बच्चों के आँसू और बच्चों की खुशी दोनों के लिए सोचना चाहिए। बतौर शिक्षक हम बच्चों के पठन कौशल , समझ निर्माण व जीवन के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण का निर्माण कर रहे होते हैं। अपने व्यवहार से बच्चों की जिंदगी में एक छाप छोड़ रहे होते हैं। ऐसे में हमें खुद को वक्‍त के साथ अपडेट करने की जरूरत होती है। इसके लिए निरन्‍तर पढ़ना, लोगों से संवाद करना, शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले भावी बदलावों को समझना बेहद जरूरी है। ताकि आप समय के साथ कदमताल करते हुए चल सकें और भावी नागरिकों के निर्माण का काम ज्यादा जिम्मेदारी और सक्रियता के साथ कर सकें। इस बारे में संक्षेप में कह सकते हैं कि बतौर शिक्षक हमें खुद भी लगातार सीखने का प्रयास जारी रखना चाहिए। आज के शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सूचना और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ गया है। पुस्तक जहाँ पहले ज्ञान का प्रमाणिक स्रोत और संसाधन हुआ करता था आज वहाँ तकनीक के कई साधन मौजूद हैं। आज विद्‌यार्थी किताबों की श्याम-श्वेत दुनिया से बाहर निकलकर सूचना और तकनीक की रंग-बिरंगी दुनिया में पहुँच चुका है, जहाँ माउस के एक क्लिक पर उसे दुनिया भर की जानकारी दृश्य रूप में प्राप्त हो जाती है। एक शिक्षक होने के नाते यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि हम समय के साथ खुद को ढालें और शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सुचारू रूप से गतिशील बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीक के साधनों का भरपूर प्रयोग करें। यदि आप अपनी कक्षा में सूचना और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए विद्‌यार्थी-केन्द्रित शिक्षण को प्रोत्साहित करते हैं तो आपकी कक्षा में शैक्षणिक वातावरण का विकास होता है और विद्‌यार्थी अपने अध्ययन में रुचि लेते हैं। यह ब्लॉग एक प्रयास है जिसका उददेश्य है कि इतने वर्षों में हिंदी अध्ययन तथा अध्यापन में जो कुछ मैंने सीखा सिखाया । उसे अपने विद्यार्थियों और मित्रों से साझा कर सकूँ यह विद्यार्थियों तथा हमारे बीच एक अखंड श्रृंखला का कार्य करेगा। मै अपनी ग़ैरमौजूदगी में भी अपने ज़रूरतमंद विद्यार्थियों के बहुत पास रहूँगा …… मेरा प्रयास है कि अपने विद्यार्थी समुदाय तथा कक्षा शिक्षण को मैं आधुनिक तकनीक से जोड़ सकूँ जिससे हर एक विद्यार्थी लाभान्वित हो सके …

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